नवीनतम लेख
भारत में कार्तिक पूर्णिमा एक प्रमुख पर्व के रूप में मनाई जाती है। इस दिन लोग बड़ी संख्या में गंगा तट पर पहुंचकर स्नान करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। हालाँकि, सभी लोग इस दिन गंगा स्नान के लिए नहीं जा पाते। ऐसे लोग अपने घरों के पास उपलब्ध किसी तालाब, पोखर या नदी में स्नान कर सकते हैं या फिर गंगाजल मिलाकर गंगासागर तैयार कर सकते हैं। इस दिन का विशेष महत्व है और इस पवित्र स्नान से तन-मन शुद्ध होता है। आइए इस आलेख में विस्तार से कार्तिक पूर्णिमा की विशिष्ट डुबकी के बारे में जानते हैं।
कार्तिक पूर्णिमा का दिन हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस दिन को भगवान शिव, भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा के लिए उपयुक्त माना गया है। हरिद्वार के प्रमुख ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और पूजा-अर्चना करने से समस्त पापों का नाश होता है और मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने से शरीर के रोग और मानसिक अशांति दूर होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।
ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का विशेष महत्व होता है। पंडित श्रीधर शास्त्री के अनुसार, हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करना सर्वोत्तम माना गया है। इस वर्ष ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 3:37 बजे से 4:51 बजे तक रहेगा। इस समय पर स्नान करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं, और मन को शांति और पवित्रता का अनुभव होता है।
अगर आप किसी कारणवश गंगा नदी तक नहीं पहुंच पाते, तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। ऐसा करने से आपको वही फल प्राप्त होंगे जो गंगा में स्नान करने से होते हैं। स्नान के बाद भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा करें और साथ ही दान-पुण्य में योगदान दें।
कार्तिक मास को भगवान विष्णु का प्रिय मास माना गया है। इस मास में उनकी पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन देवता हर की पौड़ी पर गंगा स्नान करते हैं, जिससे गंगाजल अमृतमय हो जाता है। इस दिन किए गए स्नान और गंगाजल के आचमन से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद दान का भी अत्यधिक महत्व होता है। इस दिन स्नान के बाद तिल, गुड़, कपास, घी, फल, अन्न, कंबल और वस्त्र का दान करें। अगर संभव हो तो किसी जरूरतमंद को भोजन कराएं। शास्त्रों में प्रयागराज में स्नान-दान का महत्व बताया गया है, लेकिन अगर आप बाहर नहीं जा सकते, तो घर पर ही स्नान करके गंगा का ध्यान करें और शुभ फलों की प्राप्ति करें।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी, और चंद्र देव की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी होता है। ऐसा करने से भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
पूर्णिमा के दिन अगर आप इनमें से किसी भी अनुष्ठान का पालन करते हैं, तो मुहूर्त का विशेष ध्यान रखें ताकि आपको अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।