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भगवान काल भैरव के नामों का जप

भगवान काल भैरव के नामों का जप

कालाष्टमी पर करें काल भैरव देव के नामों का जप, दूर हो जाएंगे सभी संकट

हिंदू धर्म में कालाष्टमी तिथि भगवान शिव के रक्षक और उग्र रूप काल भैरव की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। 2025 में यह शुभ तिथि 18 जून, बुधवार को आ रही है। इस दिन व्रत, पूजा, और मंत्र जाप करके भक्त अपने जीवन से संकटों, शत्रुओं और नकारात्मक ऊर्जा का नाश कर सकते हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, काल भैरव को ‘समय के स्वामी’ कहा जाता है और वे भक्तों को भय, रोग और क्लेश से मुक्ति प्रदान करते हैं। ऐसा माना गया है कि कालाष्टमी की रात को की गई आराधना शीघ्र फलदायी होती है और मंत्रों का जप विशेष फल देता है।

कालाष्टमी पर करें काल भैरव देव के इन नामों का जप

  • ॐ भं भैरवाय स्वाहा: यह मूल बीज मंत्र है, जिससे भगवान काल भैरव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  • ॐ ह्रीं भैरवाय नमः यह मंत्र काल भैरव को प्रसन्न करता है और साधक को मानसिक और आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • ॐ भं भैरवाय आपद्दुदारानाय भयं हन: यह मंत्र जीवन के सभी प्रकार के भय और संकटों से रक्षा करता है।
  • ॐ भं भैरवाय आपद्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु: शत्रु दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह मंत्र अत्यंत प्रभावशाली है।
  • ॐ भं भैरवाय आपद्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय: यह मंत्र तांत्रिक, जादू-टोने और नकारात्मक शक्तियों से बचाने वाला है।
  • ॐ भं भैरवाय आपद्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष: यह मंत्र बच्चों की रक्षा और कुशलता के लिए अत्यंत उपयोगी है।

कालाष्टमी के दिन की गई मंत्र जाप से मिलती है सभी बाधाओं से मुक्ति

कालाष्टमी भगवान काल भैरव की आराधना का सर्वोत्तम दिन होता है। इस दिन की गई पूजा, मंत्र जाप और साधना सभी बाधाओं, भय और तांत्रिक प्रभावों से रक्षा करती है। इससे भक्तों को जीवन में सुरक्षा, मानसिक शांति और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

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मार्च 2025 व्रत-त्योहार

मार्च का महीना वसंत ऋतु की ताजगी और खुशबू लेकर आता है। इस समय प्रकृति में नया जीवन और उत्साह का संचार होता है। इस माह में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं। आपको बता दें, होली मार्च महीने का सबसे प्रमुख त्योहार है।

पितृ पक्ष की पौराणिक कथा

संतान के द्वारा श्राद्धकर्म और पिंडदान आदि करने पर पितरों को तृप्ति मिलती है, और वे अपनी संतानों को धन-धान्य और खुश रहने का आशीर्वाद देते हैं।

घर पर कैसे करें पितरों की पूजा

आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाले श्राद्ध को पितृ पक्ष कहते हैं। इस दौरान पूर्वजों का श्राद्ध उनकी तिथि के अनुसार श्रद्धा भाव से विधि-विधानपूर्वक किया जाता है।

शबरी जयंती पर इन चीजों का लगाएं भोग

सनातन धर्म में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर शबरी जयंती मनाई जाती है। इस दिन व्रत और पूजन का विधान है। इस दिन भगवान राम के साथ माता शबरी का पूजन किया जाता है।

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