हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा के बाद मार्गशीर्ष मास आरंभ हो जाता है। जिसे अगहन, मंगसिर और मगसर के नाम से जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक बारह महीने में से नौवें माह को मार्गशीर्ष माह कहा जाता है। ये सभी महीनों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस महीने में भगवान कृष्ण की विधिवत पूजा करना बेहद शुभ है। इसके अलावा इस महीने नदी स्नान के साथ दीपदान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। तो आइए इस लेख में हम मार्गशीर्ष महीने के व्रत-त्योहारों की पूरी लिस्ट, इनकी तिथि और महत्व बता रहे हैं।
सभी माहों में श्रेष्ठ है मार्गशीर्ष माह
मार्गशीर्ष माह हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र और शुभ माना जाता है। यह महीना कार्तिक पूर्णिमा के बाद शुरू होता है और इसे भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय माह कहा जाता है। श्रीकृष्ण ने स्वयं भगवद गीता में कहा है, “मासोनाम मार्गशीर्षोहम्”, जिसका अर्थ है कि महीनों में मार्गशीर्ष सबसे श्रेष्ठ है। मार्गशीर्ष मास का पौराणिक और धार्मिक महत्व यह भी है कि सतयुग का आरंभ इसी महीने से हुआ था। इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। नदी स्नान, दीपदान और धार्मिक अनुष्ठान इस माह में अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
मार्गशीर्ष 2024 कब से कब तक है?
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह 16 नवंबर 2024 (शनिवार) से शुरू होकर 15 दिसंबर 2024 (रविवार) को पूर्णिमा के दिन समाप्त होगा। इस महीने में कई बड़े व्रत और त्योहार पड़ते हैं, जिनका धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है।
मार्गशीर्ष माह के व्रत और त्योहारों की सूची
- 16 नवंबर 2024 (शनिवार) मार्गशीर्ष मास आरंभ और वृश्चिक संक्रांति:- इस दिन सूर्य वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इस संक्रांति पर दान, स्नान और भगवान सूर्य की पूजा करना शुभ माना जाता है।
- 18 नवंबर 2024 (सोमवार) गणाधिप संकष्टी चतुर्थी:- गणेश जी की पूजा का यह दिन विघ्नों को दूर करने और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जाना जाता है।
- 22 नवंबर 2024 (शुक्रवार) काल भैरव जयंती और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी:- इस दिन भगवान काल भैरव का जन्मोत्सव मनाया जाता है। काल भैरव की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है।
- 26 नवंबर 2024 (मंगलवार)- उत्पन्ना एकादशी:- यह एकादशी भगवान विष्णु की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन व्रत रखने से जीवन के पापों का नाश होता है।
- 28 नवंबर 2024 (गुरुवार) प्रदोष व्रत:- प्रदोष व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है।
- 29 नवंबर 2024 (शुक्रवार) मासिक शिवरात्रि:- इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- 30 नवंबर 2024 (शनिवार) दर्श अमावस्या:- इस अमावस्या के दिन पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और दान करना शुभ माना जाता है।
- 1 दिसंबर 2024 (रविवार) गौरपी तपो व्रत और अमावस्या:- यह व्रत स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है।
- 2 दिसंबर 2024 (सोमवार) चंद्र दर्शन:- अमावस्या के बाद चंद्रमा के दर्शन करने से जीवन में सकारात्मकता और शांति आती है।
- 5 दिसंबर 2024 (गुरुवार) वरद चतुर्थी:- इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है।
- 6 दिसंबर 2024 (शुक्रवार) विवाह पंचमी:- इस दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह का पर्व मनाया जाता है। यह विवाह के शुभ कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
- 9 दिसंबर 2024 (सोमवार) दुर्गाष्टमी व्रत:- इस दिन माता दुर्गा की पूजा करने से जीवन के संकट दूर होते हैं।
- 11 दिसंबर 2024 (बुधवार) मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती:- यह एकादशी विशेष महत्व रखती है। गीता जयंती के दिन श्रीमद्भगवद गीता का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- 13 दिसंबर 2024 (शुक्रवार) प्रदोष व्रत और अनंग त्रयोदशी:- प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रखा जाता है। अनंग त्रयोदशी का व्रत वैवाहिक जीवन में सुख लाने के लिए रखा जाता है।
- 14 दिसंबर 2024 (शनिवार) अन्नपूर्णा जयंती और रोहिणी व्रत:- माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घर में अन्न-धन की कभी कमी नहीं होती।
- 15 दिसंबर 2024 (रविवार) मार्गशीर्ष पूर्णिमा और धनु संक्रांति:- इस दिन पूर्णिमा का स्नान, व्रत तथा दान विशेष फलदायी होता है। धनु संक्रांति के दिन भगवान सूर्य की पूजा से मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
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