होली का त्योहार जितना रंगों और उमंग से भरा होता है, उतनी ही महत्वपूर्ण इससे जुड़ी धार्मिक परंपराएं भी हैं। होलिका दहन एक पौराणिक परंपरा है, जो बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन घर की महिलाएं विधिपूर्वक पूजा करती हैं, लेकिन कुछ लोगों को इसे देखने से परहेज करने की सलाह दी जाती है। खासतौर पर नवविवाहित महिलाओं और नए घर में रहने वालों को होलिका दहन देखने की मनाही होती है। आइए जानते हैं इसके पीछे की धार्मिक वजह।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, होलिका दहन की अग्नि जलते हुए शरीर का प्रतीक मानी जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठी थी, तो वह खुद जलकर राख हो गई थी। इसलिए इस अग्नि को अशुभ संकेत माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यदि नवविवाहित महिला ससुराल में पहली होली के दौरान होलिका दहन देखती है, तो उसके वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आ सकती हैं। इसलिए परंपरा के अनुसार, शादी के बाद पहली होली मायके में मनाने की सलाह दी जाती है।
जो लोग हाल ही में नए घर में शिफ्ट हुए हैं, उन्हें वहां पहली होली नहीं मनानी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से घर पर संकट और नकारात्मक ऊर्जा आने की संभावना रहती है। इसलिए नए घर में रहने वालों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी पहली होली पुराने घर या किसी अन्य शुभ स्थान पर मनाएं और होली के बाद नवरात्रि में गृह प्रवेश करें।
होलिका दहन का संबंध प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा से है। भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए उसकी बुआ होलिका, जिसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था, उसे गोद में लेकर जलती आग में बैठी। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित बच गए और होलिका जलकर राख हो गई। तभी से यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें होलिका दहन कर बुराई का अंत और अच्छाई की जीत का उत्सव मनाया जाता है।
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एकादशी व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत से पापों का नाश होता है और सुख-समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है।
सीता के राम थे रखवाले,
जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥
हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। हर त्योहार अपनी पौराणिक कथाओं और परंपराओं के कारण अद्वितीय स्थान रखता है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है 'अन्वाधान’, जिसे वैष्णव सम्प्रदाय विशेष रूप से मनाता है।
सीताराम सीताराम जपाकर
राम राम राम राम रटा कर