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सनातन धर्म में हरतालिका तीज को सुहागिनों के सबसे बड़े त्योहार के रूप में मान्यता मिली हुई। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। ये दिन सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ ही कुंवारी कन्याओं के लिए भी बहुत खास माना जाता है। कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत रखा जाता है। इस दिन माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की जाती हैं। इस व्रत को बेहद कठिन माना गया हैं। क्योंकि यह व्रत निर्जला होता है, जिसमें जल ग्रहण नहीं कर सकते हैं।
भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में जानेंगे कि हरतालिका तीज का व्रत इतना कठिन क्यों हैं? साथ ही जानेंगे कि व्रत के दौरान किन नियमों का पालन करना चाहिए? इस व्रत को रखने के क्या लाभ हैं और व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 05 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर होगी। इस तिथि का समापन 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 21 मिनट पर होगा। ऐसे में हरतालिका तीज का व्रत उदया तिथि के अनुसार 06 सितंबर को किया जाएगा। इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 02 से सुबह 08 बजकर 33 मिनट तक है। इस मुहूर्त में उपासना करने से साधक को दोगुना फल प्राप्त होगा।
हरतालिका तीज का व्रत रखने से विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उनके जीवनसाथी की आयु बढ़ती है। दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। परिवार में सुख और शांति होती है। वहीं जो युवतियां विवाह योग्य रोती हैं, उनको अपने मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति हो सकती है। इस व्रत को इतना कठिन इसलिए माना गया है कि इस दिन अन्न-जल का त्याग करना पड़ता है, साथ ही जागरण भी किया जाता है। लेकिन महिलाएं इस व्रत को बहुत उत्साह के साथ मनाती है। इस व्रत के दौरान कई नियम है जिनका पालन भी करना पड़ता है।
1.रात्रिकाल में पूजा : हरतालिका तीज व्रत करने वाली महिलाओं के लिए रात्रि में सोना अशुभ माना गया है। उन्हें रात्रिकाल के दौरान शिव-पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
2. स्नान और पूजा : सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और नए कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
3. व्रत रखना : व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह के समय जल और फल ग्रहण कर सकती हैं, लेकिन दिन में कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
4. पूजा सामग्री : हरतालिका तीज की पूजा में कुछ विशेष सामान की आवश्यकता नहीं होती है. इस पूजा के लिए आप को भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति, जल, पुष्प, फल, दीपक, धूपबत्ती, पूजा थाली, रोली, अक्षत, आंटी, जनेऊ, कपूर, सिंदूर, भोडर गुलाल, पंचमेवा, प्रसाद आदि की जरूरत होती है।
5. व्रत खोलना : व्रत खोलने के लिए रात में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और इसके अगले दिन सुबह ये व्रत खोलना चाहिए।
6. ब्रह्मचर्य : व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
7. दान : व्रत के दौरान दान करना चाहिए, खासकर अन्न और वस्त्र का दान करना इस व्रत में बहुत शुभ माना गया है।
8. पूजा का समापन : व्रत के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और उन्हें धन्यवाद दें।
1. व्रत के दौरान जल और फल ग्रहण करने के बाद कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
2. सत्य बोलना चाहिए और किसी को भी अपशब्द नहीं बोलना चाहिए।
3. हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को दिन में नहीं सोना चाहिए।
4. हरतालिका तीज व्रत में आप पूरे सोलह श्रृंगार के साथ पूजा में बैठे। इस दिन सफेद या काले रंग के वस्त्र धारण न करें।
5. यदि आप हरतालिका तीज व्रत पहली बार रख रही हैं, तो ध्यान रखें इस उपवास को छोड़ा नहीं जा सकता है। इसलिए यह व्रत सोच-समझकर लें।
6. हरतालिका तीज का व्रत रख रही महिलाओं को व्रत के बाद तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए।
7. व्रत के दौरान क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए।
8. व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए।
हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘हरत’ जिसका अर्थ है अपहरण और ‘आलिका’ जिसका अर्थ है सखी। किंवदंती है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए गंगा नदी के तट पर कठोर तपस्या की थी। लेकिन तपस्या के पहले जब पार्वती जी अपने घर पर रहती थीं तो उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से करने का फैसला लिया था। जिससे परेशान होकर देवी पार्वती ने अपना दुख अपनी सखी के साथ साझा किया, तो उन्होंने पार्वती की मदद करते हुए उनका अपहरण कर लिया। वह उन्हें एक घने जंगल में ले गई जहां माता पार्वती ने एक गुफा में बालू रेत से शिवलिंग बनाकर पूजन और व्रत रखना शुरू किया। माता पार्वती की कठिन तपस्या को देखकर भगवान शिव उनसे विवाह करने के लिए राजी हो गए। जिस दिन ये प्रसंग घठित हुआ उस दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी इसलिए इस तिथि को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है।
भक्तवत्सल पर हम हरतालिका तीज के आर्टिकल पब्लिश कर चुके हैं, आप वहां जाकर हरतालिका तीज की पूजा विधि, पौराणिक कथा और आरती के बारे में विस्तार से जान सकते हैं
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