Sunderkand Path Ke Niyam: हनुमान जयंती पर सुंदरकांड पाठ करने का सही तरीका जानिए, इससे प्राप्त होता है विशेष फल
हनुमान जयंती का पर्व भगवान हनुमान की शक्ति, भक्ति और सेवा का प्रतीक है। इस दिन देशभर में भव्य पूजा-अर्चना, झांकियों और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लगभग सभी भक्त इस दिन सुंदरकांड का पाठ करते हैं, जो कि रामचरितमानस का अत्यंत महत्वपूर्ण भाग है। यह न केवल भक्तों को मानसिक शांति और बल प्रदान करता है, बल्कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों से मुक्ति भी दिलाता है।
सुबह या शाम के 4 बजे करें सुंदरकांड का पाठ
- सुंदरकांड के पाठ के लिए पूजा स्थान को साफ करें। फिर एक साफ चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और उस पर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो स्थापित करें।
- पाठ शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाएं और लाल आसन पर पर बैठें। साथ ही, पाठ करते समय कोशिश करें कि मन एकाग्र रहे और बार-बार उठना न पड़े।
- सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से सुबह या शाम को चार बजे के बाद करना अत्यन्त लाभदायक माना जाता है। मगर रात्रि 12 बजे के बाद यह पाठ करना अशुभ माना गया है, इसलिए ऐसा भूल भी न करें।
सुंदरकांड का पाठ सुनने से भी प्राप्त होता है विशेष फल
- हनुमान जी को भोग में फल, गुड़-चना, बूंदी या बेसन के लड्डू अर्पित करें।
- फिर पीपल के पत्ते पर सिंदूर से भगवान राम का नाम लिखें और माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित करें।
- सुन्दरकाण्ड का पाठ पूर्ण होने के बाद हनुमान जी की आरती करें।
- आरती के बाद प्रसाद परिवार के सदस्यों में बांटे।
- साथ ही, जो लोग सुंदरकांड पढ़ नहीं सकते, वे श्रद्धापूर्वक उसका श्रवण करें। यह भी समान रूप से फलदायक माना जाता है।
एकाग्र मन से करें सुंदरकांड का पाठ
सुन्दरकाण्ड का पाठ शुरू करने से पहले हनुमान जी की विधिवत रूप से पूजा करें और पाठ के दौरान मन में किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार न आने दें। साथ ही, पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान हनुमान का ध्यान करें। सुंदरकांड के पाठ को एक बार शुरू करने के बाद पूरा करना अनिवार्य होता है। इसलिए इस समय खास तौर से किसी से बातचीत न करें और न ही पाठ के दौरान बीच में उठें।
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