हिंदू धर्म में हनुमान जन्मोत्सव को एक अत्यन्त महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है, जिसे सभी भक्त बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। यह पर्व भगवान हनुमान के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है, जो शक्ति, भक्ति और साहस के प्रतीक हैं। हनुमान जी को संकटमोचक कहा जाता है, जो अपने भक्तों के कष्ट हरते हैं और उन्हें आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
हनुमान जन्मोत्सव प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा की तिथि पर मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 12 अप्रैल सुबह 3:21 बजे से शुरू होगी और 13 अप्रैल सुबह 5:51 बजे समाप्त होगी। इसलिए हनुमान जन्मोत्सव 12 अप्रैल, शनिवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन हनुमान जी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हनुमान जन्मोत्सव का विशेष महत्व है। इस दिन व्रत और पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही, आत्मविश्वास और साहस बढ़ता है और हनुमान जी की विशेष कृपा बनी रहती है। ऐसा माना जाता है की इस दिन विधिवत रूप से पूजा करने से शनि दोष, भूत-प्रेत बाधा और अन्य संकटों से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार, भक्त हनुमान जन्मोत्सव के दिन विशेष पूजा-अर्चना कर हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त कर करते हैं। आइये जानते हैं वह पूजा विधि:
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।
नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।