शारदीय नवरात्रि के लिए घट स्थापना कौन से दिन करें, यहां जानें अपने सभी सवालों के जवाब

शारदीय नवरात्रि का आरंभ होने जा रहा है। नौ दिन तक चलने वाले इस महापर्व में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि का पहला दिन बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन घटस्थापना करने का विधान है। लेकिन यदि आप इस बात को लेकर असमंजस में है कि घट स्थापना 2 या 3 अक्टूबर में से किस दिन की जाएगी तो ये आर्टिकल जरूर पढ़े, साथ ही इसमें आपको घट स्थापना के शुभ मुहूर्त और इसके महत्व के बारे में भी जानकारी देंगे। 


कब की जाएगी घट स्थापना 2024?


आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 03 अक्टूबर, 2024 को रात्रि 12 बजकर 18 मिनट पर शुरू हो रही है। जो 04 अक्टूबर को मध्य रात्रि 02 बजकर 58 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 03 अक्टूबर को होगी और घटस्थापना भी इसी दिन की जाएगी। इस दौरान घट स्थापना का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा- 


घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 15 मिनट से 07 बजकर 22 मिनट तक

घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक


घट स्थापना से घर में समृद्धि आती है


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना या घट स्थापना का विशेष महत्व माना गया है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और इसके बाद मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा माना जाता है कि कलश या घट स्थापना करने से घर में शुभता और समृद्धि आती है और देवी की कृपा प्राप्त होती है। घट स्थापना के दौरान इसमें जो नारियल रखा जाता है, वह घर के सदस्यों के लिए आरोग्य का आशीर्वाद लेकर आता है। इसी के साथ घट स्थापना से साधक की पूजा में किसी प्रकार की बाधा नहीं आती है। 


शारदीय नवरात्रि में होता है ऋतु परिवर्तन 


सनातन धर्म में शारदीय नवरात्र की अवधि को विशेष महत्व दिया गया है। इस दौरान ऋतु में भी परिवर्तन आता है और शरद ऋतु प्रारंभ हो जाती है। इसलिए इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। यह त्योहार आध्यात्मिक शक्ति और ज्ञान प्राप्त करने का अवसर है, और लोगों को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है। 


शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों में नौ देवियों की पूजा की जाती है, जो शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री हैं। इस अवधि को माता रानी की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी साधक पूरे विधि-विधान से नवरात्रि के व्रत और पूजा-अर्चना करता है, उसके सभी दुख-संताप दूर होते हैं। साथ ही मां दुर्गा की कृपा से साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।


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मढ़िया में जाके बोए जवारे (Madhiya Mein Jaake Boye Jaware)

मढ़िया में जाके बोए जवारे,
ऊंची पहड़िया में गाड़ दियो झंडा।

श्री महाकाली मैया की आरती

मंगल की सेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।
पान सुपारी, ध्वजा, नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट करे॥

मां शेरावालिये तेरा शेर आ गया (Maa Sherawaliye Tera Sher Aa Gaya)

जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी
जय माता दी,जय माता दी,जय माता दी

श्री गणपति स्तोत्रम् (Shri Ganpati Stotram)

जेतुं यस्त्रिपुरं हरेणहरिणा व्याजाद्बलिं बध्नता
स्रष्टुं वारिभवोद्भवेनभुवनं शेषेण धर्तुं धराम्।

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