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गंगा सप्तमी पर 3 शुभ संयोग

गंगा सप्तमी पर 3 शुभ संयोग

Ganga Saptami 2025: गंगा सप्तमी पर त्रिपुष्कर, शिववास और रवि योग का शुभ संयोग, जानें स्नान-दान का मुहूर्त


हिंदू पंचांग के अनुसार, गंगा सप्तमी का पर्व वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं। इस साल गंगा सप्तमी 3 मई, शनिवार को मनाई जाएगी, जो विशेष रूप से शुभ मानी जा रही है क्योंकि इस दिन त्रिपुष्कर योग, शिववास योग और रवि योग जैसे तीन अत्यंत शुभ योगों का संयोग बन रहा है। 


त्रिपुष्कर योग में किया गया कार्य होता है तीन गुना फलदायक 

त्रिपुष्कर योग एक दुर्लभ और शुभ योग है जो तीन विशेष नक्षत्रों जैसे ‘विशाखा, पुनर्वसु और मूल’ के मिलन से बनता है। इस योग में किया गया कार्य तीन गुना फलदायी माना जाता है। साथ ही, इस योग में धार्मिक कार्य, पूजन, स्नान और दान करना विशेष लाभकारी होता है। यदि कोई शुभ कार्य इस समय किया जाए तो वह भी स्थायी और तीन गुना फलदायक होता है।


शिववास योग में भगवान शिव करते हैं पृथ्वी पर वास

शिववास योग शिवजी की उपस्थिति और कृपा का प्रतीक होता है। जब यह योग बनता है, तो ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं पृथ्वी पर वास करते हैं। इस योग में की गई साधना, उपवास, और दान का फल अनेक गुना बढ़ जाता है। गंगा सप्तमी जैसे पावन पर्व पर शिववास योग का होना इस दिन को और भी पुण्यदायी बना देता है।


रवि योग में होते हैं सभी अमंगल प्रभाव समाप्त 

रवि योग सूर्य देव के प्रभाव से बनने वाला शुभ योग है। यह योग सभी अमंगल प्रभावों को समाप्त करता है और इस योग में किए गए कार्य विघ्नरहित पूरे होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रवि योग में की गई पूजा, तपस्या और दान से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 


सुबह 11 बजे से 1:30 बजे तक करें स्नान-दान और गंगा सप्तमी की पूजा 

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन स्नान और दान का शुभ मुहूर्त 3 मई को सुबह 10:58 बजे से दोपहर 01:38 बजे तक रहेगा। इस समय में गंगा स्नान, दान-पुण्य, और पूजा-अर्चना करना अत्यंत शुभ माना जा रहा है।


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संध्या पर्व के यम नियम

छठ पूजा 04 दिनों का अत्यंत पवित्र पर्व है जो कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होकर कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है। इन चार दिनों में व्रती महिलाएं और पुरुष सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना करते हैं।

ऊषा अर्घ्य की विधियां

छठ महापर्व भारत में सूर्य उपासना का एक सबसे पवित्र और कठिन त्योहार है। जिसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है।

ऊषा अर्घ्य पर कैसे करें फल प्राप्ति

हिंदू धर्म में भगवान सूर्य को जीवनदायी शक्ति माना गया है। शास्त्रों के अनुसार नित्य भगवान सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सौभाग्य, उन्नति और समृद्धि आती है।

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देवउत्थायनी एकादशी या देवउठनी ग्यारस एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।

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