गंगा दशहरा का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण की प्रतीक में मनाया जाता है। इस दिन गंगा स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गंगा दशहरा पर गंगा में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस बार गंगा दशहरा गुरुवार, 5 जून को मनाया जाएगा। इस दिन कई अत्यंत शुभ योग भी बन रहे हैं जो इस पर्व को और भी अधिक फलदायी बना रहे हैं।
गंगा दशहरा 2025 की खास बात यह है कि इस दिन रवि योग और सिद्धि योग का अद्भुत और दुर्लभ संयोग बन रहा है। धर्मशास्त्रों और पंचांग के अनुसार, रवि योग 5 जून को पूरे दिन रहेगा। रवि योग को सभी प्रकार के कार्यों के लिए शुभ माना जाता है। यह नकारात्मक प्रभावों को समाप्त करने वाला और सफलता दिलाने वाला योग होता है।
वहीं सिद्धि योग प्रातः 5:15 बजे से लेकर लगभग 10:38 बजे तक रहेगा। सिद्धि योग किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ होता है।
इन दोनों योगों का एक साथ पड़ना अत्यंत दुर्लभ है, और वह भी गंगा दशहरा जैसे पावन पर्व पर होना इसे अत्यंत शुभ बनाता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से रवि और सिद्धि योग दोनों को अत्यंत शुभ माना गया है। मुहूर्त चिंतामणि और धर्मसिंधु जैसे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित है कि जब ये योग किसी तीर्थ स्नान या धार्मिक कार्य के साथ संयोग में हों, तो उनके फल हजार गुना बढ़ जाते हैं। खासकर गंगा दशहरा जैसे पुण्य पर्व पर, जब व्यक्ति गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करता है, तो उसे जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
यदि कोई भक्त 5 जून को ब्रह्म मुहूर्त या फिर सिद्धि योग के समय के भीतर गंगा स्नान करता है, तो उसे विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। ऐसे में जिन श्रद्धालुओं को गंगा नदी तक जाना संभव नहीं है, वे घर पर ही गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
गंगा दशहरा पर केवल स्नान ही नहीं, बल्कि दान-पुण्य और गंगा मां की विधिवत पूजा का भी विशेष महत्व है। इस दिन तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य देना, तिल दान, गाय को चारा देना, और गंगा स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।
तन रंगा मेरा मन रंगा,
इस रंग में अंग अंग रंगा,
तर जाएगा ले नाम राम का,
कहीं बीत ना जाए,
तारा है सारा जमाना,
श्याम हम को भी तारो ।
तेरी छाया मे, तेरे चरणों मे,
मगन हो बैठूं, तेरे भक्तो मे ॥