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सनातन हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश जी का जन्म माघ महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इसे श्रीगणेश के अवतरण-दिवस के रूप में मनाया जाता है। पूरे भारत में इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। इसे माघ विनायक चतुर्थी और वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए, इस आर्टिकल में गणपति बप्पा की पूजा अर्चना और इसकी विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
पंचांग कैलेंडर की मानें तो इस बार गणेश जयंती 1 फरवरी को है। इस दिन यह 11 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी और यह 2 फरवरी तक रहेगा। यानी कि गणेश जयंती 2 फरवरी को 9 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। इस कारण उदयातिथि के अनुसार, गणेश जयंती 1 फरवरी को ही मनाई जाएगी।
गणेश जयंती की पूजा सुबह दिन में 11 बजकर 38 मिनट से दोपहर 1 बजकर 40 मिनट तक है। बता दें कि इस दिन दो घंटे दो मिनट का शुभ मुहूर्त है। जिसमें, आप आराम से अपनी पूजा-अर्चना को पूर्ण कर सकते हैं।
इस बार गणेश जयंती पर रवि का योग बन रहा है। यह सुबह 7 बजकर 9 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 2 फरवरी को सुबह 2 बजकर 33 मिनट तक चलेगा। इस दिन भगवान सूर्य अपना विशेष आशीर्वाद भी मिलेगा। गणेश जयंती पर परिघ और शिव योग भी बन रहे हैं, उस दिन उस दिन पूर्व भाद्रपद नक्षत्र दिनभर रहेगा। बात करें भद्रा की तो 1 फरवरी को भद्रा रात में 10 बजकर 26 मिनट पर लगेगी और 2 फरवरी को सुबह 7 बजकर 9 मिनट तक रहेगी।
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