दिवाली 2024 तिथि: दिवाली कब है? 31 अक्टूबर या 1 नवंबर

दिवाली कब है, 31 अक्टूबर या 1 नवंबर, असमंजस में हैं तो जानें सही तारीख 


दीपावली या दिवाली हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में एक है। यह त्योहार भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में बसे हिंदुओं के बीच श्रद्धा भक्ति और हर्षोल्लास से मनाया जाता है। पांच दिनों तक चलने वाला यह उत्सव धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज पर समाप्त होता है। दिवाली रोशनी, समृद्धि और खुशी के प्रतीक का त्योहार है।


दिवाली का पर्व हिंदू महीना कार्तिक मास की सबसे अंधेरी कार्तिक अमावस्या को आता है। लेकिन दियों की रोशनी इस रात के अंधियारे को रोशन कर देती है। दिवाली पर घर-घर दीए जलाए जाते हैं। नए कपड़े, उपहारों का आदान-प्रदान, वाहन-बर्तनों की खरीद, स्वादिष्ट पारंपरिक भोजन और पटाखे फोड़ने की परंपरा दिवाली को और भी अधिक भव्य बनाते हैं।


दिवाली या दीपावली का अर्थ है- दीपों की माला या दीप वाली। हिंदू धर्म में दिवाली का सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह अंधकार पर प्रकाश की जीत, बुराई पर अच्छाई और अज्ञानता पर ज्ञान की जीत का प्रतीक है। दिवाली के दीये आंतरिक प्रकाश से आध्यात्मिक अंधकार को दूर करने का संदेश देते हैं।


दिवाली क्यों मनाते हैं ?


दिवाली मनाने का प्रचलन हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान श्री राम राक्षस राज रावण का वध करने के बाद इसी दिन अयोध्या लौटे थे। उन्हीं के सम्मान में अयोध्यावासियों ने असंख्य दीप जलाकर और उत्सव मनाकर दिवाली की शुरुआत की थी। यह कार्तिक माह की अमावस्या तिथि थी। ऐसे में इसी दिन दिवाली मनाने की परंपरा शुरू हुई।


रोशनी के त्योहार दीपावली पर घर में लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी के साथ-साथ कीमती वस्तुओं की भी पूजा करते हैं। इस दिन लक्ष्मी पूजन का बहुत बड़ा महत्व है।


दिवाली को लेकर अन्य मान्यताएं 


दक्षिण भारत में दिवाली को लेकर एक अन्य मान्यता है। इसके अनुसार इसी दिन भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था। वही एक अन्य कथा के मुताबिक इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का विवाह हुआ था। वैसे यह भी वर्णन आता है कि इस दिन माता लक्ष्मी का अवतार हुआ था।


दिवाली पर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश और कुबेर देवता की पूजा की जाती है। इससे पहले दिवाली की तैयारियों में लगे लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं। घरों को सजाते हैं। रंगोली, दीये, फूल माला और रंग-बिरंगी लाइटों से खास सजावट की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की रात देवी लक्ष्मी वैकुंठ लोक से स्वयं धरती पर आती हैं। उन घरों में निवास करती हैं जो साफ-सुथरे, सजे-धजे और पवित्रता से परिपूर्ण होते हैं।


साल 2024 में कब है दिवाली ?


इस साल दिवाली की तिथि को लेकर लोगों के बीच काफी असमंजस की स्थिति है। दरअसल, इस साल कार्तिक मास की अमावस्या दो दिन है। ऐसे में असमंजस है कि दिवाली 31 अक्टूबर को है या 01 नवंबर को। 


शास्त्रों के अनुसार दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस साल वैदिक पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को दोपहर 3:12 बजे शुरू होकर 01 नवंबर को शाम 05:14 बजे समाप्त होगी। इसके बाद प्रतिपदा तिथि आरंभ हो जाएगी।


दिवाली पर लक्ष्मी पूजा अमावस्या तिथि और प्रदोष काल में सूर्यास्त से देर रात तक की जाती है। ऐसे में 1 नवंबर को अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशिता काल के शुभ समय में दिवाली मनाना शुभकारी होगा। ऐसे में 2024 में दीपोत्सव 1 नवंबर, 2024 शुक्रवार को मनाया जाएगा। सबसे शुभ समय शाम 5:36 बजे से शाम 6:16 बजे के बीच है। 


2024 में पांच दिवसीय दीपावली त्योहार 



वर्ष 2024 में 29 अक्टूबर 2024 को धनतेरस और 31 अक्टूबर 2024 को छोटी दिवाली के बीच एक दिन का अंतराल होगा। यह क्रम हिंदू चंद्र कैलेंडर पर आधारित है।


दिवाली से जुड़ी अन्य जरूरी चीजें


प्रदोष काल: शाम 05:36 बजे से रात 08:11 बजे तक  

वृषभ काल: शाम 06:20 बजे से रात 08:15 बजे तक  

अमावस्या तिथि प्रारंभ: 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे से

अमावस्या तिथि समाप्त: 1 नवंबर 2024 को शाम 6:16 बजे


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