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हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का विशेष महत्व है, जो पितरों की शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए समर्पित मानी जाती है। इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण देना और धूप देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन पितरों की पूजा करना, तर्पण देना और धूप देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह पूजा हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करती है और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है। मार्गशीर्ष मास में दर्श अमावस्या 30 नवंबर को है। ऐसे में आइए जानते हैं दर्श अमावस्या की पूजा विधि, तर्पण और धूप देने की विधि।
पितरों के लिए धूप-ध्यान करने का सबसे अच्छा समय दोपहर का ही माना जाता है, इसलिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि शुभ काम 30 तारीख की दोपहर में करें।
धूप देने के लिए गाय के गोबर से बने कंडे जलाएं, जब कंडों से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब अंगारों पर गुड़-घी डालें। पितरों का ध्यान करें और हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें।
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