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चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है। मान्यता है कि विधि-विधान से पूजा करने पर मनचाहा फल प्राप्त होता है। जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस बार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से होने जा रही है, वहीं इसका समापन 7 अप्रैल को होगा। ऐसे में हम आपको इस लेख के जरिए पूजा विधि और कुछ नियमों के बारे में बताते हैं, जिन्हें आप पूजा के दौरान फॉलो कर सकते हैं।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त नौ दिनों तक उपवास रखते हैं। इस दौरान अगर आप कुछ खा रहे हैं तो यह ध्यान रखें कि वह भोजन सात्विक हो।
पूजा स्थल वह स्थान होता है, जहां मां दुर्गा विराजमान होती हैं। ऐसे में जरूरी है कि पूजा स्थल नौ दिनों तक स्वच्छ और साफ रहे, ताकि किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का पूजा स्थान पर प्रवेश न हो।
नवरात्रि के नौ दिनों तक मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन न करें और सिर्फ सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। इसके अलावा अपने मुख से अपशब्द निकालने से भी बचें।
मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए सुबह-शाम आरती करें और उनके भजनों का नियमित रूप से पाठ करें। इससे मनचाहा फल भी प्राप्त होगा और मन को शांति मिलेगी।
अगर पूजा पर बैठ रहे हैं तो नौ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करें। अपने अंदर क्रोध, ईर्ष्या का भाव न आने दें, अपशब्द न कहें और किसी को गलत नजर से न देखें।
घटस्थापना
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। पूजा स्थल को साफ कर, वहां जौ बोएं। फिर एक पात्र में जल भरें, पत्ते लगाएं और उस पर नारियल रखकर पूजा स्थान पर रखें। कलश पर स्वास्तिक बनाएं और उसे लाल कपड़े से ढकें।
मां दुर्गा की पूजा
पूजा स्थल पर 9 दिनों तक दीप जलाएं। मां दुर्गा का आह्वान करें और फिर माता के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद भोग में फल, दूध, मिष्ठान्न आदि अर्पित करें। अंत में माता की आरती करें। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन करवाएं।
विसर्जन
नवमी के दिन हवन किया जाता है। हवन में विभिन्न प्रकार की सामग्री अर्पित की जाती है। नवमी के बाद, घट का विसर्जन किया जाता है।
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