ब्रज की होली

ब्रज की होली क्यों है खास, जानें इसका महत्व और इतिहास


होली भारत में रंगों का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, लेकिन जब ब्रज की होली की बात आती है, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मथुरा, वृंदावन, नंदगांव और बरसाना में यह पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम लीलाओं से जुड़े इस उत्सव में भक्ति, संगीत, नृत्य और उल्लास का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

ब्रज की होली का धार्मिक महत्व ब्रज की होली का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण ने अपनी मां यशोदा से पूछा कि राधा और गोपियां इतनी गोरी क्यों हैं, तो उन्होंने कृष्ण को रंगों से खेलने की सलाह दी। इसी से ब्रज में रंगों की होली की परंपरा शुरू हुई। इसके अलावा, भक्त प्रहलाद और होलिका दहन की कथा भी इस पर्व से जुड़ी हुई है, जिसे श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है।

ब्रज में होली के अनोखे रूप ब्रज की होली केवल रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे अलग-अलग परंपराओं के माध्यम से मनाया जाता है:

  • लट्ठमार होली (बरसाना और नंदगांव) – बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं, जिसे देखने हजारों लोग आते हैं।
  • फूलों की होली (वृंदावन) – बांके बिहारी मंदिर में फूलों से होली खेली जाती है, जो एक दिव्य अनुभव होता है।
  • लड्डू मार होली (बरसाना) – राधा रानी के जन्मस्थान बरसाना में ग्वालों पर लड्डू फेंककर होली खेली जाती है।
  • छड़ीमार होली (गोकुल) – यहां महिलाएं पुरुषों पर छड़ी बरसाकर प्रेम प्रकट करती हैं।
  • हुरंगा (दाऊजी मंदिर) – रंग और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।
  • फालेन की होली – यहां पंडा जलती हुई होली से सुरक्षित बाहर निकलता है, जिसे चमत्कार माना जाता है।



ब्रज की होली क्यों है खास?


  • ब्रज की होली केवल एक दिन का उत्सव नहीं है, बल्कि सवा महीने (40 दिन) तक चलने वाला पर्व है, जो बसंत पंचमी से रंग पंचमी तक मनाया जाता है।
  • इस दौरान भजन-कीर्तन, लोक नृत्य और रासलीलाओं का आयोजन होता है।
  • श्रद्धालु मथुरा, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव और गोकुल आकर इस अद्भुत होली महोत्सव का आनंद उठाते हैं।
  • इस पर्व को देखने विदेशी पर्यटक भी आते हैं, जो इसकी भव्यता और भक्ति से अभिभूत हो जाते हैं।

........................................................................................................
माघ कृष्ण की षट्तिला एकादशी (Magh Krishna ki Shattila Ekaadashee)

एक समय दालभ्यजी ने प्रजापति ब्रह्माजी के पुत्र पुलस्त्य जी से प्रश्न किया कि प्रभो! क्या कोई ऐसी भी शक्ति या उपाय है कि जिसके करने से ब्रह्महत्या करने इत्यादि के कुटिल कर्मों के पापों से मनुष्य सरलता पूर्वक छूट जाय भगवन् !

रंग पंचमी के उपाय

रंग पंचमी हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है और इसे होली के पांचवें दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता पृथ्वी पर आकर भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।

श्री रामायण जी की आरती (Shri Ramayan Ji Ki Aarti)

आरती श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिया-पी की॥

30 नवंबर या 1 दिसंबर, कब है मार्गशीर्ष अमावस्या?

हिंदू धर्म में दर्श अमावस्या का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर महीने आने वाली अमावस्या को दर्श अमावस्या कहते हैं। यह दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए समर्पित है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।