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सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। यह महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जिसमें अनेक शिक्षाएं निहित हैं। महाप्रतापी योद्धा भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण वे अपनी इच्छा से प्राण त्याग सकते थे। महाभारत युद्ध में अर्जुन के बाणों से आहत होने के बाद भी उन्होंने सूर्य के उत्तरायण होने तक अपने प्राण नहीं त्यागे और माघ मास की अष्टमी तिथि को देहत्याग किया। इसलिए इस दिन को भीष्म अष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
इस वर्ष 5 फरवरी 2025 को भीष्म अष्टमी मनाई जाएगी। कहा जाता है कि इस दिन व्रत और अनुष्ठान करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। जब भीष्म पितामह मृत्युशय्या पर थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को उनसे धर्म और नीति की शिक्षा लेने के लिए कहा था। भीष्म पितामह ने जो शिक्षाएं दीं, वे आज भी जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइए जानते हैं वे शिक्षाएं...
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, जो व्यक्ति सूर्य उत्तरायण के समय शरीर त्यागता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए भीष्म पितामह ने 58 दिनों तक पीड़ा सहने के बाद सूर्य उत्तरायण की प्रतीक्षा की और तभी अपने प्राण त्यागे। पौराणिक मान्यता के अनुसार, मृत्यु के समय भीष्म पितामह की आयु 150-200 वर्ष के बीच थी।
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