Bhishma Ashtami 2025 Date: कब और क्यों मनाई जाती है भीष्म अष्टमी? जानें शुभ मुहूर्त एवं योग
भीष्म अष्टमी का महत्व और तिथि
माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन बाणों की शय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग किए थे। इसलिए सनातन धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है। इस दिन विशेष रूप से पितरों के उद्धार के लिए तर्पण करने की परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि भीष्म पितामह का विधिवत तर्पण करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। हिंदू धर्म में यह भी माना जाता है कि जो लोग उत्तरायण में प्राण त्यागते हैं, उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आइए जानते हैं कि इस साल भीष्म अष्टमी कब मनाई जाएगी और शुभ मुहूर्त क्या है।
भीष्म अष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- तारीख: 5 फरवरी 2025
- अष्टमी तिथि प्रारंभ: 5 फरवरी की रात 2:30 बजे
- अष्टमी तिथि समाप्त: 6 फरवरी की रात 12:35 बजे
- उदया तिथि अनुसार व्रत एवं पूजा की तिथि: 5 फरवरी 2025
श्राद्ध और तर्पण का शुभ समय:
- सुबह 11:30 बजे से दोपहर 1:41 बजे तक
भीष्म अष्टमी पर बन रहे शुभ योग
इस साल भीष्म अष्टमी पर शुक्ल और ब्रह्म योग का संयोग बन रहा है। इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और भद्रावास भी इस दिन उपस्थित रहेंगे। इन विशेष योगों में पितरों का तर्पण एवं एकोदिष्ट श्राद्ध करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भीष्म अष्टमी का महत्व
भीष्म अष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन जल, कुश और तिल से भीष्म पितामह का तर्पण किया जाता है। यह तिथि उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाई जाती है, और इस दिन एकोदिष्ट श्राद्ध का विशेष महत्व होता है। जिन लोगों के पिता नहीं होते, वे भीष्म पितामह के नाम पर श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं।
भीष्म पितामह की अंतिम शिक्षाएँ
- गुस्से पर नियंत्रण रखें।
- क्षमा सबसे बड़ा गुण है।
- जो भी कार्य शुरू करें, उसे पूरा करें।
- अत्यधिक मोह से बचें।
- धर्म को हमेशा प्राथमिकता दें।
- कड़ी मेहनत करें और सभी की रक्षा करें।
- मन में दया और करुणा का भाव बनाए रखें।
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