भानु सप्तमी का व्रत क्यों रखा जाता है

भानु सप्तमी पर क्यों रखा जाता है व्रत, जानें इस व्रत से जुड़े नियम, महत्व और लाभ 


हर माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर यदि रविवार होता है, तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष मास में ये विशेष संयोग 08 दिसंबर, रविवार को बन रहा है। ऐसे में 08 दिसंबर को ही भानु सप्तमी का व्रत रखा जाएगा। भानु सप्तमी के दिन व्रत रखना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत रखने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं साथ ही ऊर्जा, अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइये जानते हैं भानु सप्तमी के दिन व्रत रखने का महत्व, इस व्रत से जुड़े नियम और लाभ के बारे में।

 

भानु सप्तमी पर व्रत रखने का महत्व 


भानु सप्तमी के दिन व्रत रखना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्रत रखने से हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और हमें ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त होती है।


भानु सप्तमी के दिन व्रत रखने के नियम


भानु सप्तमी के दिन व्रत रखने के लिए इन नियमों का पालन करें- 


  • व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें।
  • व्रत के दिन केवल जल और फल खाएं।
  • व्रत के दिन किसी भी प्रकार का अन्न नहीं खाएं।
  • व्रत के दिन सूर्यदेव की पूजा और आराधना करें।
  • व्रत के दिन किसी भी प्रकार का दान और पुण्य करें।


भानु सप्तमी पर व्रत रखने से लाभ 


  • भानु सप्तमी पर व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • ये व्रत रखने से शरीर को शुद्ध करने और स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है।
  • इस व्रत को रखने से मानसिक शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है।
  • भानु सप्तमी पर व्रत रखने से पापों का नाश होता है और आत्मा को शुद्धि मिलती है।
  • इस दिन व्रत रखने से समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
  • इस व्रत को रखने से आत्म-नियंत्रण और संयम प्राप्त होता है।
  • भानु सप्तमी पर व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा से रोगों का नाश होता है।
  • भानु सप्तमी पर व्रत रखने से मोक्ष प्राप्ति की प्राप्ति होती है।


भानु सप्तमी पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के लिए यहां क्लिक करें। 


........................................................................................................
वैकुंठ चतुर्दशी पर पितृ तर्पण

हिंदू धर्म में वैकुंठ चतुर्दशी का पर्व विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है। यह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आता है।

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है (Aaj Somwar Hai Ye Shiv Ka Darbar Hai)

आज सोमवार है ये शिव का दरबार है,
भरा हुआ भंडार है,

करुणामयी किरपामयी, मेरी दयामयी राधे (Karunamayi Kripamayi Meri Dayamayi Radhe)

करुणामयी किरपामयी,
मेरी दयामयी राधे ॥

शाबर मंत्र पढ़ने के लाभ

शाबर मंत्र भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन मंत्रों की रचना ऋषि-मुनियों और सिद्ध महात्माओं ने साधारण भाषा में की थी, ताकि हर व्यक्ति इन्हें समझ सके और उपयोग कर सके।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।