भानु सप्तमी कब है ?

दिसंबर माह में इस दिन पड़ रही भानु सप्तमी, जानें स्नान-दान का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व 


भानु सप्तमी एक महत्वपूर्ण तिथि है जो सूर्य देव की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। इस दिन विशेष रूप से सूर्यदेव की पूजा विधिवत रूप से करने का विधान है। भानु सप्तमी को अर्क सप्तमी, अचला सप्तमी, सूर्य रथ सप्तमी, आरोग्य सप्तमी, सूर्य सप्तमी आदि नामों से भी जाना जाता है। 

मान्यताओं के अनुसार अगर किसी व्यक्ति के जीवन में कोई भी किसी भी प्रकार की परेशानी आ रही है, तो भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने से इन समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही उसका जीवन धन और धान्य से भर जाता है। इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। ऐसे में आइये जानते हैं दिसंबर माह में भानु सप्तमी कब मनाई जा रही है? साथ ही जानेंगे इस दिन का स्नान-दान के शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि के बारे में । 


दिसंबर माह में कब है भानु सप्तमी 2024? 


हिंदू कैलेंडर के अनुसार, सप्तमी तिथि पर यदि रविवार होता है, तो उस दिन भानु सप्तमी मनाई जाती है। मार्गशीर्ष मास में ये विशेष संयोग 08 दिसंबर, रविवार को बन रहा है। ऐसे में 08 दिसंबर को 'भानु सप्तमी' मनाई जाएगी। साथ ही पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का आरंभ 07 दिसंबर को रात 11 बजकर 05 मिनट से लेकर इसका समापन 08 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर होगा। इसलिए उदया तिथि के हिसाब से भानु सप्तमी का व्रत भी 08 दिसंबर को ही रखा जाएगा।


भानु सप्तमी के दिन स्नान-दान और सूर्य पूजा का शुभ मुहूर्त 


भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 01 मिनट से लेकर सुबह 06 बजकर 33 मिनट तक है। इस दौरान आप विधिवत रूप से सूर्यदेव की पूजा करें। भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा करने के लिए कुल आधे घंटे का समय है।

भानु सप्तमी के दिन स्नान-दान अभिजित मुहूर्त में किया जा सकता है। जो सुबह 11 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। 


भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा विधि 


भानु सप्तमी के दिन सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को आरोग्य, समृद्धि और सफलता प्राप्त होती है। इस दिन दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है कि भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को कभी भी कोई परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है और सौभाग्य में भी वृद्धि हो सकती है। आइए जानते हैं भानु सप्तमी की पूजा विधि और इसके लाभ।


सामग्री:


  • तांबे का लोटा
  • साफ पानी
  • लाल फूल
  • लाल चंदन
  •  गुड़
  • सूर्य चालीसा
  • आदित्य हृदय स्तोत्र
  • गायत्री मंत्र
  • दान के लिए सामग्री (गेहूं, लाल फल, लाल फूल, लाल या नारंगी रंग का कपड़ा, गुड़, तांबे के बर्तन आदि)


पूजा विधि:


  • सुबह उठकर दैनिक क्रियाओं से निवृत हो जाएं।
  • स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • सूर्य देव की पूजा करें।
  • इसके लिए तांबे के लोटे में साफ पानी भर लें, फिर उसमें लाल फूल, लाल चंदन, गुड़ आदि डाल दें।
  • सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्र का उच्चारण करें।
  • ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दें।
  • सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
  • गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • सूर्य पूजा के बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान करें।
  • गेहूं, लाल फल, लाल फूल, लाल या नारंगी रंग का कपड़ा, गुड़, तांबे के बर्तन आदि का दान करें।


लाभ: 


  • भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से असाध्य रोगों से मुक्ति मिल सकती है और आरोग्य की भी प्राप्ति होती है। इ
  • इस दिन सूर्यदेव को जल देने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और मान-सम्मान मिलता है। 
  • भानु सप्तमी के दिन सूर्यदेव का पूजा करने से मनचाहे परिणाम भी मिलते हैं और धन-धान्य में भी वृद्धि होती है। 

........................................................................................................
श्री बटुक भैरव चालीसा

श्री गणपति, गुरु गौरि पद, प्रेम सहित धरि माथ ।
चालीसा वन्दन करों, श्री शिव भैरवनाथ ॥

अथार्गलास्तोत्रम् (Athargala Stotram)

पवित्र ग्रंथ दुर्गा सप्तशती में देवी अर्गला का पाठ देवी कवचम् के बाद और कीलकम् से पहले किया जाता है। अर्गला को शक्ति के रूप में व्यक्त किया जाता है और यह चण्डी पाठ का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

श्री महाकाली चालीसा (Shri Mahakali Chalisa)

जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥

मत्स्य द्वादशी पर कैसे करें विष्णु पूजा

त्स्य द्वादशी पर सही तरीके से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वे प्रसन्न होते हैं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।