अन्नपूर्णा जयंती पर बन रहा ये दुर्लभ योग

Annapurna Jayanti 2024: अन्नपूर्णा जयंती पर 'दुर्लभ शिव वास' का बन रहा है संयोग, प्राप्त होगा अक्षय फल


वैदिक पंचांग के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा और भगवान शिव की पूजा होती है। धार्मिक मान्यता है कि माता अन्नपूर्णा की पूजा करने से घरों में अन्न एवं धन के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही घर में सुख, समृद्धि एवं शांति बरकरार रहती है। इस शुभ अवसर पर भक्त श्रद्धा भाव से भगवान शिव और माता अन्नपूर्णा की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो अन्नपूर्णा जयंती पर दुर्लभ शिव वास योग  योग बन रहा है।  


क्या है दुर्लभ शिव वास योग?


ज्योतिष शास्त्र की मानें तो अन्नपूर्णा जयंती पर दुर्लभ शिव वास योग का संयोग बन रहा है। यह योग दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से शुरू हो रहा है। इस शुभ अवसर पर शिव और शक्ति की पूजा करने से भक्तों को अमोघ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही उन्हें जीवन में सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति भी मिलेगी।


अन्नपूर्णा जयंती शुभ मुहूर्त 


मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर को संध्याकाल 04 बजकर 58 मिनट पर होगी और 15 दिसंबर को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। इसी कारण उदया तिथि के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी। इसी दिन मार्गशीर्ष पूर्णिमा भी है। अत: इस दिन भक्त गंगा स्नान कर विधि पूर्वक माता अन्नपूर्णा की पूजा करेंगे।


शुभ योग में करें ये कार्य


मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शुभ योग का संयोग बन रहा है। इसी योग में ही स्नान-ध्यान किया जाएगा। साथ ही मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाएगी। शुभ योग का समापन 16 दिसंबर को रात 02 बजकर 04 मिनट पर होगा। मान्यता है कि इस योग में स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं अन्नपूर्णा जयंती पर मृगशिरा नक्षत्र का भी संयोग है। इसके साथ ही बव और बालव करण के शुभ योग भी बन रहे हैं। ये सभी मंगलकारी योग हैं। इन योग में भगवान शिव और माता अन्नपूर्णा की पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। 


इस दिन करें ये कार्य


माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी मानी जाती हैं। इसलिए, हमें कभी भी अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे, गैस आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और अन्नपूर्णा देवी की कृपा सदा बनी रहती है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन मां अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन घर की गृहणियां चूल्हे पर चावल और मिठाई का प्रसाद बनाकर घी का दीपक जलाती हैं। कई लोग इस दिन बिना नमक के भोजन को ग्रहण करते हैं।  


........................................................................................................
राधा के मन में, बस गए श्याम बिहारी(Radha Ke Man Mai Bas Gaye Kunj Bihari)

श्याम रंग में रंग गई राधा,
भूली सुध-बुध सारी रे,

मंत्र क्या होते हैं

शास्त्रकार कहते हैं “मननात् त्रायते इति मंत्रः” अर्थात मनन करने पर जो त्राण दे या रक्षा करे वही मंत्र होता है। धर्म, कर्म और मोक्ष की प्राप्ति हेतु प्रेरणा देने वाली शक्ति को मंत्र कहते हैं।

मेरी अखियाँ तरस रही, भोले का दीदार पाने को(Meri Akhiyan Taras Rahi Bhole Ka Didar Pane Ko)

मेरी अखियाँ तरस रही,
भोले का दीदार पाने को,

मां के दिल जैसा दुनिया में कोई दिल नहीं

दिल दिल दिल दिल दिल..माँ का दिल
दिल दिल दिल..माँ का दिल दिल दिल

डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।