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माता अन्नपूर्णा अन्न की देवी मानी जाती हैं। इस कारण इस दिन भूल से भी किसी तरह के अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे, गैस इत्यादि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं पड़ती और अन्नपूर्णा देवी की कृपा साधक पर सदा बनी रहती है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन माँ अन्नपूर्णा की पूजा की जाती है और इस दिन रसोई घर में दीपक जलाने की प्रथा है। तो आइए इस आलेख में विस्तार से इस बारे में जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि के दिन अन्नपूर्णा जयंती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन मां अन्नपूर्णा पृथ्वी पर अवतरित हुई थीं। इसलिए, इस दिन मां अन्नपूर्णा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। जिससे घर में धन और समृद्धि की कभी कमी ना हो।
अन्नपूर्णा जयंती के दिन रसोईघर में एक चौमुखी अथवा सात अलग- अलग दीपक जलाने से मां अन्नपूर्णा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि इससे भक्तों का घर धन- धान्य से वर्ष भर भरा रहता है। बता दें कि इन सात दीपकों को अलग अलग स्थानों पर रखना चाहिए। एक दीपक चूल्हे के पास, दूसरा मां अन्नपूर्णा के चित्र के आगे, तीसरा अनाज के भंडार या जहां अन्न रखते हों वहां और चौथा दीपक जल रखने वाली जगह पर रखना चाहिए। वहीं, पांचवां मुख्य द्वार पर और छठा किसी ऊंचाई वाले पवित्र स्थान पर रखना चाहिए तथा सातवां दीपक रसोई में छोटी सी रंगोली बनाकर उसके ऊपर रखनी चाहिए। रसोईघर में दीपक जलाने के दौरान आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन रसोई, चूल्हे, गैस आदि का पूजन करने से घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है और अन्नपूर्णा देवी की कृपा सदा उनके भक्तों के ऊपर बनी रहती है। बता दें कि माता अन्नपूर्णा अन्न की ही देवी हैं इस कारण हमें किसी भी रूप में अन्न का अनादर नहीं करना चाहिए। अन्नपूर्णा जयंती के दिन माता अन्नपूर्णा की पूजा की के बाद दान-पुण्य करने का विशेष महत्त्व होता है।
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