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सनातन धर्म में अन्नपूर्णा जयंती का दिन मां अन्नपूर्णा को समर्पित किया है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन दान का भी बहुत महत्व होता है। इस दिन दान करना बेहद ही शुभ माना गया है। इस दिन दान पुण्य करने की मान्यता है। ऐसा इसलिए भी करना चाहिए क्योंकि इस दिन दान करने वालों के घर में कभी भी उन्हें अन्न की कमी नहीं होती। जो लोग इस दिन पूरे विधि-विधान से मां की पूजा करते हैं, मां अन्नपूर्णा उनकी जिंदगी के सभी दुखों को दूर करती हैं। तो आइए इस दिन दान के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाती है। इस साल 14 दिसंबर को 4 बजकर 58 मिनट से मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, इस तिथि की समाप्ति 15 दिसंबर को दोपहर 2 बजकर 31 मिनट पर होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 15 दिसंबर को अन्नपूर्णा जयंती मनाई जाएगी।
अन्नपूर्णा जयंती के दिन जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्रों का दान किया जा सकता है। दरअसल, अन्नपूर्णा जयंती के दिन जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्रों का दान करना काफ़ी शुभ होता है। माना जाता है कि जो भी इस दिन अन्न और वस्त्रों का दान करता है, उसका जीवन अन्न और धन के भंडार से हमेशा भरा रहता है। इसके साथ ही इस दिन अन्न और वस्त्र का दान करने वालों को जीवन में कई शुभ परिणाम भी प्राप्त होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अन्नपूर्णा जयंती के दिन जौ का दान बेहद फलदायी माना गया है। दरअसल, जौ का नाता गुरु ग्रह से होता है। ऐसे में अन्नपूर्णा जयंती के दिन जौ का दान करने से गुरु ग्रह कुंडली में मजबूत होते हैं और व्यक्ति की तरक्की में आ रही बाधाएं भी स्वत समाप्त हो जाती हैं। इसके अलावा इस दिन गेंहूं का भी दान किया जा सकता है। क्योंकि, गेहूं को भाग्य का कारक माना जाता है। अन्नपूर्णा जयंती के दिन गेहूं का दान करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है। इससे व्यक्ति को भाग्य का साथ मिलने लगता है और सौभाग्य में वृद्धि के योग बनते हैं। इनके अलावा अन्नपूर्णा जयंती के दिन उड़द की दाल का दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और शनि दोष का भी निवारण होता है।
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