इस व्रत से बढ़ता है पति-पत्नी का प्रेम

अनंग त्रयोदशी व्रत से बढ़ता है पति-पत्नी और प्रेमियों का प्रेम, इनकी होती है पूजा 


अनंग त्रयोदशी व्रत में भगवान शिव-पार्वती तथा कामदेव और रति का पूजन किया जाता है। यह दिन प्रेमी जोड़ों के लिए बहुत खास माना गया है। क्योंकि, इस दिन व्रत रखने से जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है। इसके साथ-साथ यह संतान प्राप्ति का वरदान देने वाला भी व्रत माना जाता है। यह व्रत वर्ष में दो बार किया जाता है, पहली बार चैत्र मास में और दूसरी बार मार्गशीर्ष अगहन मास में। इस बार अनंग त्रयोदशी और प्रदोष व्रत साथ ही है। ये दोनों पर्व शिव योग और सिद्ध योग के सुंदर संयोग में मनाए जाएंगे। 


अनंग त्रयोदशी व्रत के उपाय


  • अनंग त्रयोदशी व्रत पति-पत्नी के आपसी और मर्यादित प्रेम का एक शालीन पर्व है। अत: सुहागिन महिलाओं को अनंग त्रयोदशी पर पूजन अवश्य करना चाहिए। 
  • अनंग त्रयोदशी व्रत प्रेम का दिवस माना जाता है। इस दिन पत्नी अपने पति को कामदेव का प्रतिरूप मानकर पूजा करती हैं। कामदेव का एक अन्य नाम अनंग भी होने के कारण ही इस तिथि को अनंग त्रयोदशी कहा जाता है। 
  • प्रेम विवाह में बाधा उत्पन्न हो तो और प्रेम संबंधों में सफलता के लिए शिव-पार्वती तथा कामदेव-रति का पूजन करके इस दिन उपवास रखकर शिवलिंग पर सिंदूर और सफेद पुष्प चढ़ा कर फलाहार करना चाहिए और सायंकाल में ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देने बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। इससे प्रेम में आशातीत फल प्राप्त हो सकता है। 
  • जिन्हें स्वास्थ्य संबंधी दिक्कत आ रही हो वे एक लोटे में दही, गुड़, दूध, घी और शहद का घोल तैयार करके शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही 13 सिक्के, सफेद पुष्प, सफेद नैवेद्य और बेलपत्र चढ़ाएं और 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करें, इससे उन्हें सेहत में लाभ होगा। 
  • अनंग त्रयोदशी का दिन दाम्पत्य संबंधों को मजबूत करने का पर्व है। अत: इस दिन पूरे मनोभाव से शिव पार्वती जी और रति एवं कामदेव का पूजन करें। 
  • विवाह की इच्छा रखने वालों को अनंग त्रयोदशी के दिन शिवलिंग पर सिंदूर और सफेद पुष्प चढ़ाकर 'ॐ उमा महेश्वराय नमः' का जाप करना चाहिए। 
  • वहीं, संतान की चाह रखने वाले पति-पत्नी को इस दिन शिव-पार्वती का पूजन करके सफेद चीजों को अर्पित करना चाहिए तथा 13 सिक्के समर्पित करके 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए। 
  • अपार धन प्राप्ति के लिए अनंग त्रयोदशी के दिन शिवालय में जाकर शिव जी की विशेष पूजन करें। उन्हें सफेद रंग फूल, बेलपत्र, केला, अमरूद और सफेद पेड़े या अन्य सफेद मिठाई चढ़ाएं। इस दिन शिव मंत्रों का ज्यादा से ज्यादा जाप करें।  


क्यों की जाती है अनंग त्रयोदशी व्रत? 

 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को अनंग त्रयोदशी कहते हैं। इस दिन शिव पूजन करने से वे भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। एक बार जब भगवान शिव सती वियोग से दुखी होकर ध्यान मग्न हो गए थे और तीनों लोकों में राक्षस तारकासुर का अत्याचार बढ़ गया था, तब देवताओं ने शिव जी का ध्यान भंग करने के लिए कामदेव और रति  की मदद ली थी। तब कामदेव और रति ने शिव जी का ध्यान भंग कर दिया था, जिससे नाराज होकर शिव जी ने अपने तीसरे नेत्र की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया। 


यह देखकर रति बेहद विलाप करने लगीं तब देवताओं ने शिव जी को सारा वृत्तांत सुनाया, जब शिव जी का क्रोध थोड़ा कम हुआ तो उन्होंने रति से कहा कि कामदेव इस समय अनंग हैं यानी वे बिना अंगों वाले और बिना शरीर के हैं। ज्ञात हो कि अंग रहित को अनंग कहा जाता है अर्थात् निराकार रूप वाले। इसलिए, भगवान कामदेव को अनंग के नाम से भी जाना जाता है।

तत्पश्चात द्वापर युग में कामदेव ने भगवान श्री कृष्ण के घर उनके पुत्र प्रद्युम्न के रूप में जन्म लेकर पुनः अपना शरीर पाया था। इस घटना के बाद से ही अनंग त्रयोदशी मनाई जाने लगी तथा इस दिन शिव-पार्वती जी के साथ कामदेव और रति की पूजा होने लगी। ऐसी मान्यता  है कि संतान की चाह रखने वाले पति-पत्नी को अनंग त्रयोदशी के दिन व्रत रखने से कामदेव की कृपा प्राप्त होती है। इससे संतान प्राप्ति के भी प्रबल योग बनते हैं। 


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