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हिंदू धर्म में कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का त्योहार मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी और सीता नवमी के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन विष्णु पूजा के लिए खास माना जाता है। अक्षय नवमी का दिन भी अक्षय तृतीया के समान ही अत्यन्त महत्वपूर्ण है। अक्षय तृतीया त्रेता युगा से मनाया जा रहा है। पुराणों में बताया गया है कि अक्षय नवमी के दिन ही सतयुग की शुरुआत हुई थी। इस वजह से अक्षय नवमी को “सत्य युगादि” भी कहा जाता है।
अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा का अत्यधिक महत्व है। सत्य युगादि के पावन दिन पर अक्षय पुण्य अर्जित करने हेतु हजारों भक्त मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इसके साथ ही परंपरागत रूप से अक्षय नवमी के शुभ दिन पर आंवले के वृक्ष की पूजा की जाती है। यही त्यौहार पश्चिम बंगाल में जगद्धात्री पूजा के रूप में मनाया जाता है। जिसके अन्तर्गत सत्ता की देवी, जगद्धात्री की पूजा की जाती है। इस दिन दान पुण्य को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन किसी भी तरह का दान धर्म करते हैं तो उसका अच्छा फल आपको मिलता है। इसका फल ना सिर्फ इस जन्म में बल्कि आने वाले जन्मों में भी आपको इस पुण्य का लाभ मिलता है।
पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 9 नवंबर को रात 10.45 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 10 नवंबर 2024 को रात 09 बजकर 01 मिनट तक जारी रहेगी। इसलिए, अक्षय नवमी या आंवला नवमी इस साल यानी 2024 में 10 नवंबर को मनाई जाएगी। यह पर्व देवउठनी एकादशी से दो दिन पूर्व मनाया जाता है।
आंवला नवमी को अक्षय नवमी नाम से भी जाना जाता है। जैसा कि अक्षय नाम से पता चलता है इस दिन कोई भी दान या भक्ति सम्बधी कार्य करने करने से उसका पुण्यफल कभी कम नहीं होता तथा व्यक्ति को ना केवल इस जन्म में अपितु आने वाले जन्मों में भी उसका पुण्यफल प्राप्त होता है। आंवला नवमी के दिन ही भगवान विष्णु ने कुष्माण्डक नामक दैत्य को मारा था। आंवला नवमी पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पहले तीन वनों की परिक्रमा भी की थी। इस दिन सभी महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती है।
वैसे तो पूरे कार्तिक मास में पवित्र नदियों में स्नान का माहात्म्य है। लेकिन, नवमी को स्नान करने से इसका अक्षय पुण्य होता है।
इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाने और उसे ग्रहण करने का विशेष महत्त्व है। इससे उत्तम स्वास्थ मिलता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
अक्षय नवमी के शुभ अवसर पर मथुरा-वृन्दावन की परिक्रमा भी की जाती है इसके फल स्वरूप व्यक्ति बैकुंठ धाम में स्थान पाता है।
नोट: आंवला नवमी व्रत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और कथा आप इस लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
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