Akshaya Tritiya Yog 2025: 82 साल बाद अक्षय तृतीया पर बन रहा है ये शुभ योग, 5 राशियों को होगा धन लाभ
अक्षय तृतीया का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के किया जा सकता है और उसका फल अक्षय होता है, अर्थात् कभी नष्ट नहीं होता। मगर इस साल अक्षय तृतीया और भी खास है क्योंकि 82 वर्षों के बाद सर्वार्थ सिद्धि योग, शोभन योग और रवि योग का एक साथ खास संयोग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, यह दुर्लभ संयोग पांच राशियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
वृषभ राशि के लोगों को प्राप्त होगी आर्थिक मजबूती
वृषभ राशि के लोगों के लिए यह तिथि आर्थिक रूप से अत्यंत शुभ साबित होगी। साथ ही, सुख-सुविधाओं में वृद्धि और नौकरी तथा व्यवसाय में तरक्की के योग हैं। यदि आपने किसी प्रकार का निवेश करने की योजना बना रखी है, तो यह समय बिल्कुल शुभ है।
कर्क राशि वालों की होगी नौकरी की तलाश खत्म
कर्क राशि के लोगों के लिए यह अक्षय तृतीया पुराने अटके हुए धन को वापस लाने का मार्ग खोल सकती है। साथ ही, नौकरी की तलाश कर रहे लोगों को अच्छी खबर मिल सकती है। इस दिन सोना-चांदी की खरीदारी ज़रूर करें, जिससे भविष्य में आर्थिक मजबूती मिलेगी।
तुला राशि के लोगों के लिए खुलेंगे आय के नए स्रोत
तुला राशि वालों के लिए अचानक कोई नया आय का स्रोत बन सकता है। साथ ही, घर या नई गाड़ी खरीदने का योग बन रहा है। इस समय की गई पूजा से आर्थिक मजबूती भी प्राप्त होगी।
मकर राशि वालों के वर्षों से रुके कार्य होंगे फिर से शुरू
मकर राशि के लिए नया व्यापार शुरू करना या किसी पुराने प्रोजेक्ट को दोबारा शुरू करना लाभकारी सिद्ध होगा। लंबे समय से जो कार्य रुके हुए थे, वे इस शुभ संयोग में फिर से शुरू होंगे।
कुंभ राशि के लोगों को प्राप्त होगा व्यापार में लाभ
कुंभ राशि के जातकों को परिवार के किसी सदस्य से आर्थिक सहायता प्राप्त हो सकती है। साथ ही, व्यापार में लाभ की भी संभावना है।
भीष्म पितामह गंगा और महाराज शांतनु के आठवें पुत्र थे। गंगा ने अपने पहले सात पुत्रों को जन्म लेते ही नदी में प्रवाहित कर दिया था। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।
सनातन धर्म में एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी मनाई जाती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का विशेष महत्व माना गया है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ‘भीष्म अष्टमी’ कहा जाता है।
हर साल माघ महीने में भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। इसे एकोदिष्ट श्राद्ध भी कहा जाता है। एकोदिष्ट श्राद्ध कोई भी व्यक्ति कर सकता है। एकोदिष्ट श्राद्ध करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।