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हिंदू धर्म में प्रकृति को विशेष महत्व दिया जाता है। इसमें, वृक्षों से लेकर पशु-पक्षियों तक को पूजनीय माना जाता है। नदियां को भारतीय संस्कृति में पवित्र और पूजनीय माना गया है।
नर्मदा नदी पहाड़, जंगल और कई प्राचीन तीर्थों से होकर गुजरती हैं। वेद, पुराण, महाभारत और रामायण सभी ग्रंथों में इसका जिक्र है। इसका एक नाम रेवा भी है। माघ माह में शुक्ल पक्ष सप्तमी को नर्मदा जयन्ती मनायी जाती है।
प्रतिवर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को नर्मदा जयंती मनाने का विधान है। इस दिन मां नर्मदा की विशेष रूप से यह जयंती मनाई जाती है।
गंगा नदी की तरह ही मां नर्मदा को भी बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। भारत में छोटी-बड़ी 200 से अधिक नदियां हैं, जिसमें पांच बड़ी नदियों में नर्मदा भी एक है। इतना ही नहीं, मान्यता है कि नर्मदा के स्पर्श से ही पाप मिट जाते हैं। इसलिए, प्रतिवर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को नर्मदा जयंती मनाई जाती है।
नर्मदा में स्नान के अद्भुत लाभ
भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्व बहुत अधिक है, उन्हें मां का दर्जा दिया जाता है। गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था से अधिकतर लोग परिचित हैं। हालांकि, देश भर में खासकर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का काफी महत्व है। इस बार 4 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।
हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी व्रत किया जाता है। माघ माह की स्कंद षष्ठी 3 फरवरी 2025 को पड़ेगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था।
भगवान कार्तिकेय के प्रमुख मंदिर
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक चंद्र मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए भक्त हर महीने इस तिथि को उनका जन्मोत्सव मनाते हैं।
हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। इस दिन विशेष उपाय करने से जीवन की विभिन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं कुछ प्रभावी उपाय...
भगवान कार्तिकेय का मिलेगा आशीर्वाद, स्कंद षष्ठी के दिन इस तरह से करें पूजा
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का व्रत रखा जाता है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा और व्रत कथा का पाठ करने से मन को शांति मिलती है।
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