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उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है।
उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। उत्पन्ना एकादशी की उत्पत्ति का उल्लेख प्राचीन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है, जहां भगवान विष्णु और युधिष्ठिर के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद में इसका वर्णन किया गया है।
26 या 27 नवंबर, कब है उत्पन्ना एकादशी?
उत्पन्ना एकादशी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।
मार्गशीर्ष कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि और भोग
वैदिक पंचाग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में कृष्ण जन्माष्टमी आज यानी 22 नवंबर 2024 को मनाई जा रही है। मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त करने और जीवन के दुखों को दूर करने का श्रेष्ठ अवसर है।
श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार हैं। इन्हें, केशव, कन्हैया, श्याम, गोपाल, द्वारकेश या द्वारकाधीश और वासुदेव इत्यादि नामों से भी जाना है। श्रीकृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था। कृष्ण वासुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के उपाय
हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। मार्गशीर्ष माह में ये पर्व 22 नवंबर को मनाया जा रहा है।
मासिक जन्माष्टमी पर राशि अनुसार पूजा
हिंदू धर्म में हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा की जाती है और इसे कालाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी धार्मिक दृष्टि से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भगवान कृष्ण की अद्भुत लीलाओं और शिक्षाओं को स्मरण करने का दिवस माना जाता है।
कब मनाई जाएगी मासिक कृष्ण जन्माष्टमी
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भक्त अपने घरों में श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2024 के नवंबर माह में ये तिथि 22 तारीख को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जो तंत्र-मंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है।
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