व्रत एवं त्यौहार

विवाह पंचमी के दिन क्या करें, क्या न करें?

विवाह पंचमी भगवान राम और माता सीता के विवाह का ऐसा पावन अवसर है, जिसे हिंदू धर्म के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते है।

विवाह पंचमी के उपाय क्या हैं

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से विवाह पंचमी का पर्व मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

विवाह पंचमी पर क्या दान करें?

विवाह पंचमी का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन माता सीता और प्रभु श्री राम का विवाह हुआ था। विवाह पंचमी का पर्व सभी तिथियों में शुभ माना गया है। इस तिथि आदर्श दांपत्य जीवन का उदाहरण हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर किसी व्यक्ति के विवाह में कोई परेशानी आ रही है, तो इस दिन विधिवत रूप से राम जी और जानकी माता की पूजा की जाती है।

विवाह पंचमी के शुभ संयोग

विवाह पंचमी का त्योहार भगवान राम और माता सीता के विवाह के पावन अवसर के रूप में मनाया जाता है। लोग इस दिन वैवाहिक जीवन में शांति के लिए भगवान राम और माता सीता की पूजा करते है।

विवाह पंचमी पर शादी क्यों नहीं होती ?

मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है। आमतौर पर हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह तिथि नवंबर या दिसंबर के महीने में आती है।

बैंगन छठ की कहानी क्या है

हर साल बैंगन छठ या चंपा षष्ठी का यह व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसे बैंगन छठ के नाम से भी जानते हैं। दरअसल, इस पूजा में बैंगन चढ़ाते हैं इसलिए इसे बैंगन छठ कहा जाता है।

किस दिन है चंपा षष्ठी का व्रत

चंपा षष्ठी का पर्व भारत के प्राचीन त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप और भगवान कार्तिकेय की पूजा के लिए समर्पित है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत मनाया जाता है।

चंपा षष्ठी मानने के पीछे की वजह

भारत में त्योहारों का विशेष महत्व है। यहां हर दिन किसी न किसी क्षेत्र में कोई पर्व या त्योहार मनाया जाता है। इनमें से कुछ त्योहार न केवल देश में बल्कि विदेशों तक भी प्रचलित होते हैं।

चंद्रदर्शन कब करें

हिंदू धर्म में चंद्र दर्शन को अत्यंत पवित्र और लाभकारी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा मन के संचालन का कारक होता है। चंद्र दर्शन के दिन चंद्र देव की पूजा करने से मन को शांति, जीवन में समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष के अनुसार कमजोर चंद्रमा वाले जातकों को विशेष रूप से इस दिन व्रत और पूजा करनी चाहिए।

चंद्र दर्शन का महत्व क्या है

मार्गशीर्ष माह हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इस माह में चंद्र दर्शन का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र दर्शन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है। चंद्र देव को मन का कारक और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना गया है।