व्रत एवं त्यौहार

चैत्र मास में करें ये उपाय

चैत्र माह की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है। यह हिंदू पंचांग का पहला महीना है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व है। इस मास में की गई पूजा, व्रत और दान-पुण्य का प्रभाव संपूर्ण वर्ष पर पड़ता है। इसके अलावा मान्यता है कि इस माह में कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

चैत्र मास में क्या करें क्या न करें

ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह एक हिंदू कैलेंडर भी होता है। इस कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र के साथ होती है। यह महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में चैत्र नवरात्रि, राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं।

चैत्र नवरात्रि पूजा नियम

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।

चैत्र महीना व्रत-त्योहार लिस्ट

चैत्र माह हिंदू पंचांग का पहला महीना होता है। इसे हिंदू नववर्ष की शुरुआत के रूप में देखा जाता है। इसके अलावा यह वसंत ऋतु के खत्म होने का प्रतीक भी है। इस महीने में कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं, जो हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखते हैं। यह त्योहार हमें धर्म, संस्कृति और परंपराओं से जोड़ते हैं।

क्यों खास है डोल पूर्णिमा

डोल पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से बंगाल, असम, त्रिपुरा, गुजरात, बिहार, राजस्थान और ओडिशा में मनाया जाता है। इस दिन राधा-कृष्ण की मूर्ति को पालकी पर बिठाया जाता है और भजन गाते हुए जुलूस निकाला जाता है।

वसंत पूर्णिमा की पूजा विधि

भारत में पूर्णिमा का बहुत महत्व है और देश के प्रमुख क्षेत्रों में इसे पूर्णिमा कहा जाता है। पूर्णिमा का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अधिकांश प्रमुख त्यौहार या वर्षगांठ इसी दिन पड़ती हैं।

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर राशि अनुसार उपाय

भक्त वत्सल के इस लेख में आप जान सकते हैं, भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर राशि अनुसार क्या दान करने से सभी कार्यों में सफलता मिलेगी।

होली भाई दूज ज्योतिष उपाय

होली भाई दूज इस साल 16 मार्च को मनाई जाएगी। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और बंधन को दर्शाता है।

मीन संक्रांति का महत्व

मान्यताओं के अनुसार जब भगवान सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं तो मीन संक्रांति मनाई जाती है। यह तिथि फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होती है।

मीन संक्रांति की तिथि और मुहूर्त

मान्यता के अनुसार मीन संक्रांति तब मनाई जाती है जब भगवान सूर्य मीन राशि में प्रवेश करते हैं, और यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होता है।