मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से आठवां स्वरूप हैं विद्या लक्ष्मी का जो विज्ञान और कला के साथ ज्ञान की देवी हैं। इनकी आराधना करने से इन तीनों चीजों में व्यक्ति वृद्धि और विकास करता है। विद्या लक्ष्मी बुद्धि में वृद्धि कर व्यक्ति को विद्वान बनने में सहायता करती हैं। विद्या रूपी धन की प्राप्ति के लिए विद्या लक्ष्मी की आराधना बहुत कारगर उपाय है। लेकिन, ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि देवी विद्या लक्ष्मी की पूजा किस विधि से की जाती है। तो चलिए इस लेख में हम आपको बताते हैं विद्या लक्ष्मी की पूजन सामग्री, विधी और सभी महत्वपूर्ण जानकारियां।
विद्या लक्ष्मी ब्रह्मचारिणी देवी का ही एक रूप हैं। मां विद्या लक्ष्मी का यह स्वरूप सफ़ेद वस्त्र धारण किये हुए है। उनके सिर पर सोने के आभूषण सुसज्जित हैं। चार भुजाओं में माता ने ऊपर की दो भुजाओं में कमल फूल धारण किया है। वहीं, अन्य दो भुजाएं अभय मुद्रा में हैं। देवी असुरक्षा, अज्ञानता और अनुभवहीनता को दूर कर ज्ञान और विवेक में वृद्धि करतीं हैं ।
हिंदू धर्म में चैत्र अमावस्या का विशेष महत्व है। यह दिन पितृ शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, उगादि पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे हिन्दू नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। इसलिए इसकी तिथि और मुहूर्त जानना बहुत जरूरी होता है।
उगादि दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण नववर्ष उत्सव होता है। "उगादि" शब्द संस्कृत के "युग" अर्थात् "युग की शुरुआत" और "आदि" अर्थात् "आरंभ" से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है नए युग का आरंभ।
सनातन धर्म में गुड़ी पड़वा त्योहार का विशेष महत्व है। इस त्योहार को चैत्र के महीने में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और इस तिथि से चैत्र नवरात्र शुरू होता है। इसके साथ ही हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है।