दीपावली के पावन पर्व पर हर व्यक्ति यह चाहता है कि वह मां लक्ष्मी का पूजन इस प्रकार करें कि उसे मनवांछित फल की प्राप्ति हो। यदि आप भी जानने के इच्छुक है कि मां लक्ष्मी के किस रूप की पूजा करने से किस वस्तु को प्राप्त किया जा सकता है तो इस आलेख में जानें मां लक्ष्मी के आठ स्वरूप, उनका महत्व और उनके पूजन से होने वाले लाभ।
हिंदू धर्म ग्रंथो एवं पुराणों में मां लक्ष्मी के 08 स्वरूपों का वर्णन है। मां लक्ष्मी के इन्हीं आठ स्वरूपों को अष्ट लक्ष्मी भी कहा जाता है।
1. आदि लक्ष्मी:- मां आदि लक्ष्मी का यह स्वरूप उच्च मोक्ष प्राप्ति प्रदान करने वाला है। संपूर्ण चराचर जगत के संचालन में मां लक्ष्मी प्रभु श्री विष्णु नारायण के साथ विराजमान होकर सृष्टि के संचालन में सहयोग करती हैं। श्रीमद् भागवत पुराण के अनुसार आदि लक्ष्मी मां लक्ष्मी का प्रथम स्वरुप है। यह हर विपदा से बचाती है।
2. धन लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी के इस स्वरूप में आप देखेंगे कि उनके पास धन से भरा हुआ कलश है। एक हाथ में कमल धारण किए हुए हैं। महालक्ष्मी का यह स्वरूप अत्यंत तेज वाला है। कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु कुबेर जी से लिए गए ऋण को चुकाने में असमर्थ हुए तब भगवान विष्णु की मदद मां लक्ष्मी के इसी स्वरूप ने की व उन्हें कर्ज मुक्त कराया। इसलिए मान्यता है कि लक्ष्मी माता का यह स्वरूप हमें क़र्ज़ से छुटकारा भी दिलाता है।
3. धन्य लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी का यह रूप मां अन्नपूर्णा के रूप में भी पूजा जाता है, मां लक्ष्मी के इसी स्वरूप को प्रसन्न करने के लिए कहा जाता है कि अन्न का कभी अपमान नहीं करना चाहिए। इनकी पूजा-अर्चना से घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती।
4. गज लक्ष्मी:- जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है मां लक्ष्मी का यह स्वरूप गजराज अर्थात हाथी पर सवार है। इसलिए मां लक्ष्मी के इस स्वरूप को राजलक्ष्मी भी कहा जाता है। खेती किसानी से जुड़े व्यक्ति जिनका व्यवसाय कृषि है उन्हें गज लक्ष्मी के इस रूप का पूजन करना चाहिए।
5. संतान लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी का यह स्वरूप अपने भक्तों की संतान की तरह रक्षा करता है। यह मां लक्ष्मी के स्कंदमाता रूप का ही प्रतीक है। मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने से निश्चित ही संतान सुख की प्राप्ति होती है।
6. वीर लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी के इस स्वरूप का पूजन वीरता साहस और धैर्य के लिए किया जाता है। वीरता, बौद्धिक एवं शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करें।
7. विजय लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी के इस स्वरूप को विजय लक्ष्मी के रूप में भी पूजा जाता है। मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की कृपा से व्यक्ति को यश, कीर्ति, मान सम्मान आदि की प्राप्ति होती है।
8. विद्या लक्ष्मी:- मां लक्ष्मी का अंतिम स्वरूप विद्यालक्ष्मी है मां लक्ष्मी के इस स्वरूप की कृपा से जातक ज्ञान, कला, कौशल, अध्यात्म प्राप्त कर जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सम्मान प्राप्त करता है।
मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों में से किसी भी स्वरूप के पूजन हेतु उक्त स्वरूप से संबंधित चित्र एवं वस्तुओं का पूजन में प्रयोग करना चाहिए। पूजन के लिए लकड़ी की एक चौकी तैयार करें, उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। मां लक्ष्मी को सर्वप्रथम पंचामृत से स्नान करें, हल्दी, कुमकुम, मेहंदी, रोली, लाल बिंदी, चुनरी, चूड़ी सहित सोलह श्रृंगार मां लक्ष्मी को अर्पित करें। पूजा में लाल सूत, सुपारी, चांवल, चंदन, पुष्प, फल, कमलगट्टा अर्पित करें। मां लक्ष्मी को भोग लगाने हेतु, सिंघाड़ा, अनार, नारियल, पान के पत्ते, खीर, मखाने अन्य मिष्ठान और हलवे का प्रयोग करें। धूप दिखाकर मां लक्ष्मी से अपनी इच्छा पूर्ति हेतु प्रार्थना करें। संभव हो तो हवन करें। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु उनके 108 नामों का जाप करें।
मां लक्ष्मी की कृपा से स्वास्थ्य, दीर्घायु, धन-धान्य की परिपूर्णता, कामकाज में सफलता, व्यापार में तरक्की, संतान प्राप्ति, सुख- समृद्धि और वैभव मिलता है।
छठ पूजा भारत के कुछ राज्यों, विशेष तौर पर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है।
छठ पर्व का दूसरा दिन खरना होता है, खरना का मतलब है शुद्धिकरण। जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी नहाय-खाय वाले दिन पूरा दिन उपवास रखना होता है।
छठ महापर्व का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य के लिए जाना जाता है। इसमें व्रती महिलाएं पवित्र नदी में या किसी कुंड में डुबकी लगाती हैं और सूर्य और छठी मैया की पूजा करती है।
छठ पूजा का चौथा और अंतिम दिन, ऊषा अर्घ्य, इस त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण और भावनात्मक पल होता है। इस दिन, व्रती महिलाएं सूर्य देव को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं।