Logo

शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है?

शिवलिंग पर जल क्यों चढ़ाया जाता है?

शिवलिंग पर जल चढ़ाने से कम होता है रेडिएशन का प्रभाव, समुद्र मंथन से हुई शुरुआत 


शिवपुराण में कहा गया है कि भगवान शिव स्वयं जल के रूप में विद्यमान हैं। जल को जीवन का आधार माना गया है और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से इसका महत्व समझा जा सकता है। जल चढ़ाने की यह परंपरा पौराणिक कथा से प्रेरित है जिसमें महादेव ने विषपान कर संसार को बचाया था। इसके अलावा जल अर्पण का वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है। शिवलिंग पर जल अर्पित कर हम भगवान शिव की कृपा प्राप्त करते हैं और प्रकृति और मानव जीवन के बीच के गहरे संबंध को भी समझते हैं। तो आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं। 

ऐसे हुई जल चढ़ाने की शुरुआत


समुद्र मंथन की घटना से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और दानवों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया। तब इस मंथन से अमृत के साथ-साथ कई चीजें निकलीं, जिनमें से एक घातक विष हलाहल भी था। यह विष इतना प्रचंड था कि इसका प्रभाव पूरे संसार को नष्ट करने की क्षमता रखता था। जब इस विष का कोई उपाय नहीं मिला, तो देवता भगवान शिव के पास गए। भोलेनाथ ने संसार की रक्षा के लिए यह विष स्वयं पी लिया और इसे अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से शिव का कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ कहा जाने लगा। विष अत्यधिक प्रभावशाली था, जिसके कारण भगवान शिव का शरीर तपने लगा। उनकी तपन को शांत करने और उन्हें शीतलता प्रदान करने के लिए देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया।
तब से लेकर आज तक शिवलिंग पर जल चढ़ाने की यह परंपरा चली आ रही है। यह भगवान शिव के प्रति कृतज्ञता और उनकी कृपा पाने का माध्यम भी है।

ख़त्म होती है नकारात्मक ऊर्जा 


शिवलिंग पर जल चढ़ाने का भौतिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि शिवलिंग पर जल अर्पित करने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। पौराणिक कथा में कहा गया है कि विषपान के बाद शिव का मस्तक गर्म हो गया था, जिसे शीतल जल अर्पित कर ठंडक दी गई। वहीं, शिवलिंग पर जल चढ़ाने का एक अर्थ यह भी है कि हमारे भीतर उत्पन्न नकारात्मक भाव जैसे क्रोध, घृणा या निराशा, जल के माध्यम से बहकर बाहर निकल जाएं और हम मानसिक शांति प्राप्त करें।

मन और मस्तिष्क को देता है शीतलता


शिवलिंग पर जल चढ़ाने का आध्यात्मिक कारण मन और मस्तिष्क को शांत करना भी है। हमारे मस्तिष्क के केंद्र में आग्नेय चक्र स्थित होता है। यही हमारे विचारों और मानसिक शांति का संचालन करता है। यह स्थान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यदि यह केंद्र शांत रहता है, तो हमारी सोचने-समझने की क्षमता संतुलित रहती है। चुकी, शिवलिंग पर जल चढ़ाना भी शिव जी के मस्तिष्क को शीतल रखने का ही प्रयास है। इसलिए, जब शिव जी का मन शांत होता है तो हमें भी मानसिक और भावनात्मक स्थिरता प्राप्त होती है।

कम होता है रेडिएशन का प्रभाव 


वहीं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से शिवलिंग पर जल चढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कारण है। शोध में पाया गया है कि शिवलिंग, विशेष रूप से ज्योतिर्लिंग, रेडियोधर्मी ऊर्जा (रेडिएशन) का उच्च स्तर उत्पन्न करते हैं। शिवलिंग पर जल चढ़ाने से यह ऊर्जा नियंत्रित रहती है। जल, जो खुद एक प्राकृतिक शीतलक है शिवलिंग से निकलने वाली इस प्रचंड ऊर्जा को संतुलित करती है। साथ ही शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल भी रेडियोधर्मी गुणों से युक्त हो जाता है, और जब इसे बहते पानी में प्रवाहित किया जाता है, तो यह औषधीय गुण वाला हो जाता है। यही कारण है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को पवित्र माना जाता है और इसे लांघने से मना किया जाता है।

शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लाभ


  • शारीरिक और मानसिक शांति: जल अर्पण से शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 
  • नकारात्मकता का नाश: यह प्रक्रिया हमारे आसपास और भीतर की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह: शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन को संतुलित बनाता है।
  • प्राकृतिक संतुलन: शिवलिंग पर चढ़ा हुआ जल, जब नदी में मिलता है, तो औषधीय गुण प्रदान करता है, जो पर्यावरण को भी शुद्ध करता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह प्रक्रिया हमारे मन और आत्मा को शिव की ओर केंद्रित करती है जिससे आध्यात्मिक विकास होता है।
........................................................................................................
शिव सन्यासी से मरघट वासी से (Shiv Sanyasi Se Marghat Wasi Se)

शिव सन्यासी से मरघट वासी से,
मैया करूँगी मैं तो ब्याह,

शिव शम्भू सा निराला, कोई देवता नहीं है (Shiv Shambhu Sa Nirala Koi Devta Nahi Hai)

शिव शम्भू सा निराला,
कोई देवता नहीं है,

श्री राम कथा की महिमा को, घर घर में पहुँचाना है (Shri Ram Katha Ki Mahima Ko Ghar Ghar Me Pahuchana Hai)

श्री राम कथा की महिमा को,
घर घर में पहुँचाना है,

शिव शंकर भोलेनाथ, तेरा डमरू बाजे पर्वत पे (Shiv Shankar Bholenath Tera Damru Baje Parvat Pe)

शिव शंकर भोलेनाथ,
तेरा डमरू बाजे पर्वत पे,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang