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धूप और अगरबत्ती क्यों जलाई जाती है?

धूप और अगरबत्ती क्यों जलाई जाती है?

 देवी-देवताओं की पूजा में क्यों जलाया जाता है धूपबत्ती?


सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा में विशेष रूप से धूपबत्ती जलाने की परंपरा है। बिना धूपबत्ति के पूजा-पाठ अधूरी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि धूपबत्ती जलाने से घर में सकारात्कता का संचार होता है और व्यक्ति के जीवन में भी शुभता आती है। आपको बात दें, धूपबत्ती जलाने के भी नियम होते हैं। कभी भी और किसी भी समय धूपबत्ती नहीं जलाना चाहिए। सुबह पूजा और शाम को पूजा करने के दौरान ही धूपबत्ती जलाई जाती है। वहीं कुछ लोग पूजा-पाठ में अगरबत्ती का भी उपयोग करते हैं। परंतु इस अशुभ माना जाता है। पूजा में केवल धूपबत्ती का ही उपयोग करना चाहिए। अब ऐसे में सवाल है कि पूजा के दौरान धूपबत्ती जलाने का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी से विस्तार से जानते हैं। 

पूजा में क्यों जलाते हैं धूपबत्ती? 


शास्त्रों में धूपबत्ती सभी देवी-देवताओं को प्रिय है। ऐसा कहा जाता है कि अगर पूजा क दौरान धूपबत्ती जलाया जाए, तो देवी-देवता शीघ्र प्रसन्न हो सकते हैं। साथ ही उनका कृपा भी बनी रहती है। 
हिंदू परंपरा में धूपबत्ती और दीये का विशेष महत्व है। यह न केवल पूजा का एक भाग हैं बल्कि घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करते हैं। धूपबत्ती की सुगंध और दीये का प्रकाश नकारात्मकता को दूर भगाते हैं और घर को पवित्र बनाते हैं। रोज़ाना धूपबत्ती जलाने से घर में रहने वालों का मन शांत होता है, बुद्धि तेज होती है। इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है।
ज्योतिष शास्त्र में पूजा-पाठ के दौरान धूपबत्ती जलाने से नवग्रह दोष से भी छुटकारा मिल सकता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति हो सकती है। 
अगर आप धूपबत्ती जला रहे हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि सुगंध सबसे जरूरी है। सुगंधित धूपबत्ती जलाने से देवी-देवता बेहद प्रसन्न होते हैं और भक्तों के ऊपर उनकी कृपा बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति के सभी काम भी बनने लग जाते हैं। 

पूजा-पाठ में अगरबत्ती क्यों नहीं जलाना चाहिए? 


हिंदू धर्म में बांस का उपयोग अर्थी बनाने के लिए किया जाता है। लेकिन दाह संस्कार में बांस नहीं जलाया जाता। इसलिए बांस से बनी अगरबत्ती जलाना शुभ नहीं माना जाता। शादियों, जनेऊ, मुंडन जैसे शुभ अवसरों पर बांस की पूजा होती है और बांस से मंडप भी सजाया जाता है। इसीलिए पूजा में बांस की अगरबत्ती जलाना सही नहीं माना जाता है। 

धूपबत्ती जलाने के दौरान करें मंत्रों का जाप 


अगर आप धूबपत्ती जला रहे हैं, तो इस दौरान मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें। इसके अलावा आप ईष्टदेव के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं। इससे व्यक्ति को मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सकती है और स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिल सकता है।
 
  • ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखी भूत्वा।।
  • ॐ गण गणपतये नमः
  • ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद। ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः।
  • ॐ आदित्याय नमः
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे: 
  • ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद:
  • ॐ नमः शिवाय: 

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भोग लगाने के बाद ही भोजन क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में पूजा-अर्चना करने के दौरान देवी-देवताओं को भोग लगाने का विशेष महत्व है। बिना भगवान को भोग लगाए पूजा अधूरी मानी जाती है।

घर में मंदिर कहां होना चाहिए?

घर का मंदिर एक पवित्र स्थान है जहां हम अपने आराध्य देवों की पूजा करते हैं। यह न केवल हमारी भक्ति के केंद्र है, बल्कि आस्था का मार्ग भी दिखाता है।

शिव जी को बेलपत्र क्यों चढ़ाया जाता है?

हिंदू धर्म में भगवान शिव को दया और करुणा का सागर माना जाता है। महादेव का स्वभाव बेहद भोला है, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसका कल्याण निश्चित होता है।

दक्षिणमुखी घर में पूजा क्यों नहीं होती?

अपना घर बनाते समय दिशा का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा को यमराज से जोड़ा जाता है और दक्षिण मुखी घर अशुभ माना जाता है।

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