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भारत के कोने-कोने में एक से एक मंदिर मौजूद हैं। कुछ मंदिर की कहानियां तो काफी रोचक भी हैं। राजस्थान में स्थित जीण माता मंदिर भी उन्हीं खास मंदिरों में से एक है। शेखावाटी इलाके में सीकर-जयपुर रोड पर जीण माता गांव में मां का बेहद प्राचीन मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। ये मंदिर ना सिर्फ खूबसूरत जंगल के बीचोबीच बना है। और यह 3 छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह मंदिर देश के प्राचीन शक्तिपीठों में से एक है। तो आइए, इस आर्टिकल में जीण माता मंदिर के इतिहास और महत्व को विस्तार से जानते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जीण माता ने राजस्थान के चूरू में घांघू गांव के एक राजघराने में जन्म लिया था। इन्हें, मां शक्ति का अवतार माना गया और उनके बड़े भाई हर्ष को शिव का अवतार माना जाता है। जीण माता के मंदिर में भाई बहन का मंदिर मौजूद है। इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है। दरअसल, जीण माता का उनकी ननद से भाई के लिए झगड़ा हो गया था। ननद ने उन्हें कहा कि कल हम एक साथ सरोवर पर पानी भरेंगे। दोनों 2 मटके उठाएंगी। हर्ष जिसका पहले मटका उतारेगा मतलब उससे अधिक प्यार करता है। हर्ष की पत्नी ने उन्हें जैसे-तैसे समझा दिया कि वो बहन का मटका नहीं उतारे। इसके बाद दोनों सरोवर पहुंची और पानी का मटका भरा। परंतु, घर पहुंचने पर भाई हर्ष ने पहले अपनी पत्नी का मटका उतार लिया। इसके बाद दोनों भाई बहन में विवाद हो गया।
प्रचलित कहानी के अनुसार, जब भाई-बहन के बीच विवाद गहराया तो मां ने इस स्थान पर आकर तपस्या शुरू कर दी। बहन के रूठ जाने से परेशान भाई हर्ष भी पीछे-पीछे यहां पहुंच गए और बहन को मनाने की तमाम कोशिश की। परंतु, उनके हाथ निराशा ही लगी। जिसके बाद वो भी पास के ही एक स्थान पर तपस्या करने लगे। इस स्थान पर अरावली की पहाड़ियों के बीच हर्षनाथ का मंदिर है।
मंदिर की दीवारों पर तांत्रिकों की विभिन्न मूर्तियां लगी हुई हैं। जिससे लोग अनुमान लगाते हैं कि पहले कभी ये तांत्रिकों की साधना का गढ़ रहा होगा। बता दें कि यह मंदिर दक्षिण मुखी है। मंदिर के अंदर जीण भगवती की अष्टभुजी प्रतिमा है। वहीं, पहाड़ के नीचे स्थित मंडप को गुफा कहा जाता है। साथ ही यहां महात्मा का तपोस्थल भी मौजूद है। मंदिर के अंदर आठ शिलालेख स्थित हैं। मंदिर को आठवीं सदी में निर्मित माना जाता है। यहां मौजूद सबसे पुराना शिलालेख संवत 1029 का है।
एक समय पर औरंगजेब की सेना ने उत्तर भारत के मंदिरों पर आक्रमण किया था। जीण माता के मंदिर पर उन्होंने हमला करने का फैसला लिया।
इसके बाद मुगल बादशाह औरंगजेब की सेना ने जब शेखावाटी के मंदिरों में तोड़फोड़ शुरू की तो मंदिर के पुजारी और गांव वालों को पता चला। इसके बाद उन्होंने जीण माता से बचाने के लिए दुआ की। मां ने अपने चमत्कार से औरंगजेब की सेना पर मधुमक्खियों की विशाल सेना छोड़ दी। इसके बाद हजारों सैनिक वापस लौट गए।
मान्यता है कि औरंगजेब ने मां से क्षमायाचना की और मंदिर में अखंड दीप के लिए तेल भेजने का वचन दिया। जिसके बाद दिल्ली से और फिर जयपुर से दीपक के लिए तेल की व्यवस्था की जाती रही। इस चमत्कार के बाद जीण माता भंवरों की देवी कहलाई। मुगल बादशाह ने प्रभावित होकर मंदिर में मां की स्वर्ण मूर्ति भेंट की थी। जिसके बाद से आज भी मंदिर में स्वर्ण छत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा यहां कुष्ठ रोगियों के लिए यहां बड़ी मान्यता है कि यहां कुष्ठरोगी दर्शन करने से ही स्वस्थ हो जाते हैं।
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श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर इस्कॉन चौपाटी मुंबई (Sri Sri Radha Gopinath Temple, ISKCON Chowpatty, Mumbai)
TH 75A, New Town Heights, Sector 86 Gurgaon, Haryana 122004
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