लाल मंदिर, दिल्ली (Lal Mandir, Delhi)

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कभी मुगलों की छावनी हुआ करती थी यह प्राचीन लाल जैन मंदिर, जानिए इसका इतिहास और महत्व 


पुरानी दिल्ली अपने आप में कई इतिहास और संस्कृतियों को खुद में समेटे हुए है। इन्हीं संस्कृतियों में से एक है, श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर, इस मंदिर का निर्माण मुगल शासनकाल के दौरान ही करवाया गया था। करीब 369 साल पुराने प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर की वास्तुकला, कलाकृति व प्रतिमाएं किसी का भी मन मोह सकती हैं। उस वक्त इस मंदिर को खेती के कूचे का मंदिर या लश्करी का मंदिर भी कहा जाता था। तो आइए, इस आर्टिकल में प्राचीन दिगम्बर जैन मंदिर के इतिहास, महत्व और विशेषता के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


जानिए इस मंदिर का इतिहास


इस मंदिर को मुगल शासक शांहजहां के समय में बनाया गया था। श्री दिगंबर जैन मंदिर को पुरानी दिल्ली का सबसे पुराना जैन मंदिर भी माना जाता है। नेताजी सुभाष मार्ग और लाल किले के सामने स्थित यह लाल मंदिर जैन धर्म का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1656 में किया गया था। इससे जुड़ी कई ऐतिहासिक कहानियां और रोचक तथ्य आज भी काफी प्रचलित हैं।


जानिए क्यों खास है ये मंदिर? 


दिल्ली में वैसे तो कई जैन मंदिर हैं, लेकिन भगवान महावीर जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, उनकी प्रतिमा सहित प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा इस मंदिर में स्थापित है, जिसके चलते यह खास बना हुआ है। ये मंदिर लाल पत्थरों से निर्मित होने की वजह से श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर के नाम से जाना जाता है। 1931 में जैन भिक्षु आचार्य शांतिसागर द्वारा श्री दिगंबर जैन लाल मंदिर का दौरा किया गया था, जो 8वीं शताब्दी के बाद दिल्ली आने वाले पहले दिगंबर जैन पुजारी के रूप में जाने जाते हैं। इस शुभ घटना को यादगार बनाने हेतु मंदिर परिसर के भीतर एक स्मारक भी स्थापित किया गया है। 


मुगल शासक ने क्यों बनवाया था ये मंदिर


कहा जाता है कि शांहजहां ने कई अग्रवाल और जैन व्यापारियों को शहर में आने और बसने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें दरीबा गली के आसपास चांदनी चौक के दक्षिण में कुछ जमीन दी। इतिहास के अनुसार मुगल सेना के एक जैन अधिकारी ने व्यक्तिगत पूजा के लिए अपने तंबू में एक तीर्थंकर की मूर्ति रखी थी। वंही इस तम्बू ने धीरे-धीरे अन्य जैन सैनिकों और अधिकारियों को आकर्षित करना शुरू कर दिया था। इसके बाद 1656 में यहां एक जैन मंदिर का निर्माण किया गया था। उस समय मंदिर को उर्दू मंदिर या लश्करी मंदिर के रूप में जाना जाता था।


कभी छावनी हुआ करती थी लाल मंदिर


मुगल काल में ये इलाका उर्दू बाजार में आता था, जिसके चलते लोग इसे उर्दू मंदिर भी कहा करते थे। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि तत्कालीन समय में ये मुगलों की छावनी हुआ करती थी। इस मंदिर का अंतिम बार जीर्णोद्धार साल 1935 ईस्वी में कराया गया था और इस मंदिर का वर्तमान आकार दिया गया।


ऐसे पहुंच सकते हैं लाल मंदिर या दिगम्बर जैन मंदिर


लाल मंदिर, लाल किला के पास में ही स्थित है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन पुरानी दिल्ली व नजदीकी मेट्रो स्टेशन चांदनी चौक है। वहीं, यहां का नजदीकी हवाई अड्डा इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है और इसके अलावा सड़क मार्ग से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।


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