बटुक भैरव मंदिर, दिल्ली (Batuk Bhairav Temple Delhi)

दर्शन समय

6:30 AM - 10 PM

पांच हजार साल से ज्यादा पुराना है बटुक भैरव मंदिर, पांडवों ने कराया था निर्माण


बटुक भैरव मंदिर एक हिंदू मंदिर है जोकि भगवान भैरों को समर्पित है। इस मंदिर का नाम दिल्ली के मुख्य मंदिरों में आता है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर लगभग 5500 साल पुराना है। पांडवों द्वारा दिल्ली में दो भैरों नाथ मंदिर का निर्माण करवाया गया था।
दिल्लीवासियों के बीच काल भैरव मंदिर बहुत ज्यादा फेमस है। जहां लोग दूर-दूर से बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर की खास बात है कि सदियों से बाबा को शराब का भोग लगाया जाता है। बटुक भैरव मंदिर पांडवों द्वारा बनाए गए मंदिरों में सर्व प्रथम हैं। जिनके विग्रह में भैरव बाबा का चेहरा और दो बड़ी-बड़ी आंखों के साथ बाबा का त्रिशूल दिखता है।

पांडवों ने कराया दो मंदिरों का निर्माण


मान्यता है कि पांडवों ने दिल्ली में बटुक भैरों मंदिर और किलकारी भैरो नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था। जिसमें बटुक भैरो मंदिर भगवान भैरों को समर्पित है। यह मंदिर दिल्ली के नेहरू पार्क चाणक्यपुरी में स्थित है। कहते हैं कि दिल्ली के मुख्य मंदिरों में इस मंदिर की गिनती होती है। इतना पुराना मंदिर होने के बाद भी इसकी बनावट पुरानी नहीं हैं, क्योंकि समय-समय पर इसका जीर्णोद्धार कार्य होता रहता है। कहा जाता है कि यह मंदिर पांडव के युग का है। कहा जाता है कि इस मंदिर में भैरों की मूर्ति के ऊपर जो मदिरा चढ़ाई जाती है, वो मंदिर के नीचे बने कुएं में चली जाती है।

भगवान कृष्ण और पांडवों से जुड़ी पौराणिक कथा


माना जाता है कि पांडवों ने अपने किले की सुरक्षा हेतु कई बार यज्ञ का आयोजन किया था लेकिन राक्षस यज्ञ को बार-बार भंग कर दिया करते थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने सुझाव दिया कि किले की सुरक्षा हेतु भगवान भैरों को किले में स्थापित किया जाए। तब भीम ने भैरों बाबा को लाने के लिए काशी यानि बनारस गये भीम ने बाबा की आराधना की और बाबा को इंद्रप्रस्थ चलने का आग्रह किया।
तब बाबा ने भीम के सामने एक शर्त रखी और कहा कि वह जहां भी उन्हें पहले रख देगा वह वहीं विराजमान हो जाएंगे और वहां से आगे नहीं जाएंगे। भीम ने ये शर्त मान ली और बाबा को अपने कंधे पर बिठाकर चल दिया। जब भीम इंद्रप्रस्थ की सीमा में आ गए तो बाबा ने उनकी परीक्षा लेना चाही।
भीम को अचानक से तेज प्यास लगने लगी। पांडवों का किला ज्यादा दूर तो नहीं था, लेकिन भीम से प्यास सहन नहीं हुई तो उन्होंने अपने कंधे पर बैठे भैरव बाबा को उतार कर एक कुएं की मुंडेर पर रख दिया। पानी पीने के बाद जब भीम ने भैरव बाबा को फिर से उठाने का प्रयास किया को बाबा टस से मस न हुएं। भीम ने लाख प्रयास किए, लेकिन वह विफल रहे। इसके बाग भैरव बाबा ने उन्हें शर्त याद दिलाई।
यह सुनकर भीम किले की सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गए और भैरव बाबा से कोई उपाय सुझाने का आग्रह किया। बटुक भैरव बाबा ने अपनी कुछ जटाओं को उखाड़ कर भीमसेन को दे दिया और किले के द्वार पर स्थापित करने का आदेश दिया।
भैरव बाबा ने कहा कि जब भी उनके किले पर कोई विपत्ति आएगी तो उनकी जटाएं किलकारी करेंगी, जिसे सुनकर वह स्वयं किले की सुरक्षा के लिए वहां उपस्थित हो जाएंगे। भीम ने वैसा ही किया। आज भी दिल्ली के पुराने किले पर किलकारी भैरव मंदिर मौजूद हैं। इस दोनों मंदिरों का परस्पर संबंध भी हैं और दोनों ही पांडव कालीन तथा भीम द्वारा स्थापित किए हुए हैं।

मंदिर के त्योहार


यहां मंदिर में भैरव जयंती, शिवरात्रि, हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। भैरव बाबा मंदिर में मंगलवार, शनिवार और रविवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। कुएं पर प्रतिष्ठित भैरव की बहुत मान्यता है। मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को उसकी श्रद्धा अनुसार फल मिलता है।

किलकारी बाबा भैरों नाथ मंदिर


किलकारी भैरव नाथ मंदिर पुराने किला के बाहर और प्रगति मैदान के सामने स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर के भगवान कृष्ण की सलाह पर पांडवों ने खुद अपने हाथों से बनाया था। इसके अलावा इस मंदिर में जो भैरव बाबा की मूर्ति हैं, उसे भीम काशी से खुद लेकर आए थे। भैरव बाबा को तामसिक प्रवृत्ति और तंत्र-मंत्र के देवता माना जाता है। इसी वजह से उन्हें शराब का भोग लगाया जाता है।

मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग -  यहां का निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां से आप टैक्सी या मेट्रो के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग - यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन दिल्ली का रेलवे स्टेशन है। यहां से आप टैक्सी या मेट्रो के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग - ये मंदिर दिल्ली में है तो आप किसी भी मार्ग से आसानी से पहुंच सकते हैं। हर जगह से आपको अच्छी सड़कें मिलेगी।
मंदिर का समय - सुबह 6.30 से रात 10 बजे तक खुला रहता है। शनिवार को रात 12 बजे तक।

डिसक्लेमर

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