श्री महालक्ष्मी चालीसा

श्री महालक्ष्मी चालीसा की रचना और महत्त्व


माता महालक्ष्मी हिंदू धर्म की एक प्रमुख देवी है। देवताओं ने दानवों के साथ मिलकर जब समुद्र मंथन किया था, तब 14 रत्न सहित अमृत और विष की प्राप्ति हुई और इसी के साथ मां लक्ष्मी की भी उत्पत्ति हुई थी। बता दें कि शुक्रवार का दिन माता महालक्ष्मी को समर्पित होता है। इसलिए माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन महालक्ष्मी चालीसा का पाठ अवश्य रूप से करना चाहिए। महालक्ष्मी चालीसा में 40 पंक्तियां हैं, जिसमें माता महालक्ष्मी के स्वरूप और उनकी महिमा का वर्णन किया गया है। माता महालक्ष्मी की कृपा से आर्थिक संकट दूर होता है , और घर में सुख-शांति और वेभव का वास होता है। माता महालक्ष्मी चालीसा का पाठ करने से...


१) सुख-संपत्ति आती है।

२) दुखों का नाश होता है।

३) रोगों से मुक्ति मिलती है।

४) घर में धन की कमी नहीं होती है।

५) सिद्धि-बुद्धि, धन-बल और ज्ञान-विवेक की प्राप्ति होती है।

६) संतानहीन को संतान की प्राप्ति होती है।


।।दोहा।।


जय जय श्री महालक्ष्मी करूं माता तव ध्यान।

सिद्ध काज मम किजिए निज शिशु सेवक जान।।


।।चौपाई।।

नमो महा लक्ष्मी जय माता, तेरो नाम जगत विख्याता।

आदि शक्ति हो माता भवानी, पूजत सब नर मुनि ज्ञानी।।

जगत पालिनी सब सुख करनी, निज जनहित भण्डारण भरनी।

श्वेत कमल दल पर तव आसन, मात सुशोभित है पद्मासन।।


सुंदर सोहे कुंचित केशा, विमल नयन अरु अनुपम भेषा।

कमल नयन समभुज तव चारि, सुरनर मुनिजनहित सुखकारी।।

अद्भूत छटा मात तव बानी, सकल विश्व की हो सुखखानी।

शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी, सकल विश्व की हो सुखखानी।।


महालक्ष्मी धन्य हो माई, पंच तत्व में सृष्टि रचाई।

जीव चराचर तुम उपजाये, पशु पक्षी नर नारी बनाये।।

क्षितितल अगणित वृक्ष जमाए, अमित रंग फल फूल सुहाए।

छवि विलोक सुरमुनि नर नारी, करे सदा तव जय जय कारी।।


सुरपति और नरपति सब ध्यावें, तेरे सम्मुख शीश नवायें।

चारहु वेदन तब यश गाये, महिमा अगम पार नहीं पाये।।

जापर करहु मात तुम दाया, सोइ जग में धन्य कहाया।

पल में राजाहि रंक बनाओ, रंक राव कर बिमल न लाओ।।


जिन घर करहुं मात तुम बासा, उनका यश हो विश्व प्रकाशा

जो ध्यावै से बहु सुख पावै, विमुख रहे जो दुख उठावै।।

महालक्ष्मी जन सुख दाई, ध्याऊं तुमको शीश नवाई।

निज जन जानी मोहीं अपनाओ, सुख संपत्ति दे दुख नशाओ।।


ॐ श्री श्री जयसुखकी खानी, रिद्धि सिद्धि देउ मात जनजानी।

ॐ ह्रीं- ॐ ह्रीं सब व्याधिहटाओ, जनउर विमल दृष्टिदर्शाओ।।

ॐ क्लीं- ॐ क्लीं शत्रु क्षय कीजै, जनहीत मात अभय वर दीजै।

ॐ जयजयति जय जयजननी, सकल काज भक्तन के करनी।।


ॐ नमो-नमो भवनिधि तारणी, तरणि भंवर से पार उतारिनी।

सुनहु मात यह विनय हमारी, पुरवहु आस करहु अबारी।।

ऋणी दुखी जो तुमको ध्यावै, सो प्राणी सुख संपत्ति पावै।

रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई, ताकि निर्मल काया होई।।


विष्णु प्रिया जय जय महारानी, महिमा अमित ना जाय बखानी।

पुत्रहीन जो ध्यान लगावै, पाये सुत अतिहि हुलसावै।।

त्राहि त्राहि शरणागत तेरी, करहु मात अब नेक न देरी।

आवहु मात विलंब ना कीजै, हृदय निवास भक्त वर दीजै।।


जानूं जप तप का नहीं भेवा, पार करो अब भवनिधि वन खेवा।

विनवों बार बार कर जोरी, पुरण आशा करहु अब मोरी।।

जानी दास मम संकट टारौ, सकल व्याधि से मोहिं उबारो।

जो तव सुरति रहै लव लाई, सो जग पावै सुयश बढ़ाई।।


छायो यश तेरा संसारा, पावत शेष शम्भु नहिं पारा।

कमल निशदिन शरण तिहारि, करहु पूरण अभिलाष हमारी।।


।।दोहा।।


महालक्ष्मी चालीसा पढ़ै सुने चित्त लाय।

ताहि पदारथ मिलै अब कहै वेद यश गाय।।

श्वेताम्बर अरू श्वेता भूषणश्वेतही श्वेत सुसज्जित पुष्पन।

शीश छत्र अति रूप विशाला, गल सोहे मुक्तन की माला।।

........................................................................................................
ओ पवन पुत्र हनुमान राम के, परम भक्त कहलाए (O Pawan Putra Hanuman Ram Ke Param Bhakt Kahlaye)

ओ पवन पुत्र हनुमान राम के,
परम भक्त कहलाए,

लगन लागी तोसे मोरी मैय्या (Lagan Lagi Tose Mori Maiya)

लगन लागी तोसे मोरी मैय्या,
मिलन की लगन तोसे लागी मां।

आओ सब महिमा गाये, मिल के हनुमान की (Aao Sab Mahima Gaaye Milke Hanuman Ki)

आओ सब महिमा गाये,
मिल के हनुमान की,

सांवरा जब मेरे साथ है(Sanwara Jab Mere Sath Hai)

सांवरा जब मेरे साथ है,
हमको डरने की क्या बात है ।

यह भी जाने