बड़ा है दयालु भोले नाथ डमरू वाला,
जिनके गले में विषधर काला,
आदि अंत मेरा है राम,
उन बिन और सकल बेकाम ॥
प्रथमहिं गुरुको शीश नवाऊँ | हरिचरणों में ध्यान लगाऊँ ||१||
गीत सुनाऊँ अद्भुत यार | धारण से हो बेड़ा पार ||२||
युधिष्ठिर ने कहा-हे भगवन्! श्रावण मास के कृष्णपक्ष की एकदशी का क्या नाम और क्या माहात्म्य है सो मुझसे कहने की कृपा करें।