चैत्र नवरात्रि के पांचवें दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय की माता हैं, उन्हें ममता की मूर्ति भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो मनुष्य स्कंदमाता की सच्चे मन से उपासना और स्तुति करता है उन्हें संतान-सुख, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
मां स्कंदमाता की पूजा मे निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग जरूर करें।
चैत्र नवरात्रि का पांचवां दिन पूजा और साधना के लिए बहुत शुभ समय माना जाता है। इसीलिए स्कंदमाता की पूजा के प्रत्येक नियमों को जानना महत्वपूर्ण हो जाता है। आइए उन्हें जानते हैं:
देवी दुर्गा का पांचवां रूप मातृशक्ति को दर्शाता है जिन्हें स्कंदमाता के नाम से जाना जाता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां स्कंदमाता की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और गर्भवती महिलाओं को विशेष आशीर्वाद भी मिलता है। साथ ही भक्तों को सभी कष्ट, रोग और दुख से मुक्ति मिलती है, और परिवार में सुख-शांति, समृद्धि बनी रहती है।
हिंदू धर्म में प्रत्येक अमावस्या का विशेष महत्व होता है, लेकिन वैशाख माह की अमावस्या विशेष रूप से फलदायक मानी जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इस तिथि को पितरों की शांति और मोक्ष के लिए उत्तम दिन माना जाता है। इस दिन किए गए तर्पण, पिंडदान और पूजा से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं।
भारतीय ज्योतिषशास्त्र में पितृ दोष को एक ऐसा महत्वपूर्ण योग माना गया है, जो जातक के जीवन में अनेक बाधाएं उत्पन्न करता है।
वास्तु शास्त्र प्रकृति और मानव जीवन के बीच सामंजस्य स्थापित करने वाला प्राचीन विज्ञान है। जब किसी भवन या स्थान में वास्तु के सिद्धांतों का पालन नहीं होता, तो वहां नकारात्मक ऊर्जा या समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।