विक्रम संवत 2082 कैसा होगा?

विक्रम संवत 2082 की शुरुआत इस दिन होगी, जानें कैसा होगा हिंदू नववर्ष और कौन होंगे इस बार के राजा 


हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से होती है। अंग्रेजी कैलेंडर 2025 के अनुसार, इस बार हिंदू नववर्ष यानी विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च 2025 से होने जा रही है। यह दिन हिंदू समुदाय के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत है। जिस दिन से ये तिथि शुरू होती है। उस दिन का अधिपति नव वर्ष यानी नव संवत्सर का राजा कहलाता है। इसकी शुरुआत भारतीय सम्राट विक्रमादित्य ने की थी। इसलिए इसे विक्रम संवत कहा जाता है। इस दिन लोग नए वर्ष की शुरुआत के लिए पूजा-पाठ करते हैं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर नए वर्ष का जश्न मनाते हैं। इस दिन को भारत देश में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे- गुड़ी पड़वा, चेती चंड, युगादि, नव संवत्सर आदि। ऐसे में आइये जानते हैं इस बार का हिंदू नववर्ष कैसा होगा? इस वर्ष के राजा और मंत्री कौन होंगे? साथ ही जानेंगे हिंदू नववर्ष का ज्योतिष महत्व। 


हिंदू नववर्ष 2025 का शुभारंभ कब होगा? 


पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरुआत 29 मार्च को शाम 4:27 बजे से प्रारंभ होगी जो अगले दिन 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे तक जारी रहेगी। उदया तिथि के आधार पर, हिंदू नववर्ष 2025 का शुभारंभ 30 मार्च दिन रविवार से हो रहा है। इस दिन विक्रम संवत 2082 का पहला दिन होगा, जो नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। इस साल हिंदू नववर्ष का शुभारंभ सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है। 

सर्वार्थ सिद्धि योग- 30 मार्च को शाम को 04 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगा और अगले दिन 31 मार्च को प्रात: 06 बजकर 12 मिनट तक जारी रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग एक शुभ योग है, इसमें किए गए कार्य सफल सिद्ध होते हैं। 


विक्रम संवत 2082 में कौन होगा राजा और मंत्री? 


हिंदू नववर्ष 2025 की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है। यह दिन रविवार के दिन पड़ रहा है, जो सूर्य का दिन माना जाता है। इसलिए इस वर्ष  सूर्यदेव दोनों पदों (राजा और मंत्री) पर आसीन होंगे। यह एक दुर्लभ संयोग भी है, जिसमें सूर्य और चंद्रमा दोनों ही मीन राशि में संचरण करेंगे। 


नवसंवत्सर का ज्योतिषीय महत्व


नवसंवत का अपना एक विशेष नाम और फल होता है, जो पूरे वर्ष के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा पूरे संवत के लिए एक विशेष मंत्रिमंडल भी होता है, जिसमें ग्रहों का एक समूह शामिल होता है। इस मंत्रिमंडल के ग्रहों के आधार पर पूरे संवत के लिए शुभ-अशुभ फलों का निर्धारण होता है। इन ग्रहों के मंत्रिमंडल का प्रभाव मौसम, अर्थव्यवस्था, जनता, सुरक्षा, कृषि और बरसात पर पड़ता है। यह मंत्रिमंडल पूरे वर्ष के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके आधार पर हमें पूरे वर्ष के लिए शुभ-अशुभ फलों की जानकारी मिलती है।


सूर्य के राजा होने के प्रभाव 


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिंदू नववर्ष के राजा सूर्य होने पर ये परिणाम हो सकते हैं:

  • गर्मी का प्रकोप अधिक होगा।
  • दूध के भाव में वृद्धि होगी।
  • बाजार में तेजी का रुख होगा।
  • राजनीति के क्षेत्र में विरोधाभास नजर आएगा।


हिंदू नववर्ष के पहले दिन का महत्व


  • चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पहले दिन को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा कहा जाता है। यह दिन कई धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वों से भरा हुआ है।
  • सृष्टि की रचना का दिन- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। यह दिन सतयुग का आरंभ भी माना जाता है।
  • नवरात्रि की शुरुआत- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो देवी दुर्गा की आराधना का पर्व है।
  • विक्रम संवत की शुरुआत- सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरुआत भी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से की थी। यह संवत हिंदू पंचांग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • फसल की पूजा और सूर्य देव की आराधना- गुड़ी पड़वा पर मराठी समुदाय के लिए नए हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। इस दिन लोग फसलों की पूजा आदि भी करते हैं और सूर्य देव की विशेष पूजा आराधना की जाती है।
  • छत्रपति शिवाजी की विजय- ऐसी मान्यता है कि मुगलों से युद्ध जीतने के बाद छत्रपति शिवाजी ने पहली बार गुड़ी पड़वा का त्योहार मनाया था।


इस संयोग में हो रही विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 


नए विक्रम संवत 2082 की शुरुआत 30 मार्च 2025 से हो रही है, जो हिंदू नववर्ष का प्रतीक है। इस वर्ष के विक्रम संवत का नाम सिद्धार्थी संवत होगा, जिसमें राजा और मंत्री दोनों ही सूर्यदेव होंगे। नया हिंदू नववर्ष विक्रम संवत सिंह लग्न में प्रारंभ होगा, जो एक दुर्लभ संयोग है। इस बार संवत के आरंभ में सूर्य, चंद्रमा, शनि, बुध और राहु की युति भी बनने जा रही है, जो 100 साल बाद हो रही है। इसके अलावा, ग्रहों के योग से बुधादित्य और मालव्य राजयोग भी बनेगा। नए विक्रम संवत में कुछ राशियों के लिए शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें मिथुन राशि, मकर राशि, कन्या राशि, कुंभ राशि, धनु राशि और मीन राशि शामिल हैं। इन राशियों के लिए अचानक धन लाभ और सफलता प्राप्ति के योग भी बन रहे हैं।


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