सूर्य उपासना से होंगे रोग मुक्ति

सूर्य उपासना से श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को मिली कुष्ठ रोग से मुक्ति, पढ़ें पौराणिक कथा 


सूर्य उपासना आरोग्यता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाली मानी जाती है। प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को सूर्य उपासना के द्वारा ही कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी। यह कथा दर्शाती है कि सूर्योपासना ना सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि स्वास्थ्य और जीवन की समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है। कठोर तपस्या और सूर्य की उपासना से सांब ने रोगमुक्त होकर कई सूर्य मंदिरों की स्थापना की, जो आज भी पूजनीय हैं। सूर्य उपासना की यह परंपरा छठ पर्व में भी परिलक्षित होती है।


क्या है पूरी कहानी


दरअसल, भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब से जुड़े पुराणों में एक रोचक कथा है। यह कथा इस बात को दर्शाती है कि प्राचीन भारतीय परंपराओं में सूर्य की पूजा का कितना महत्व था और कैसे सूर्योपासना से विभिन्न कष्टों से मुक्ति मिल सकती थी।


श्रीकृष्ण के पुत्र सांब का सूर्य उपासना


भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब अत्यंत कांतिवान थे। किंवदंतियों के अनुसार किसी बात पर भगवान कृष्ण ने सांब से नाराज होकर उन्हें कुष्ठ हो जाने का शाप दे दिया। जब सांब को यह भयानक रोग हो गया तो उन्हें अत्यधिक कष्ट हुआ। तभी भगवान कृष्ण ने उन्हें उपाय बताया कि सूर्य की उपासना करने से वह इस रोग से मुक्ति पा सकते हैं। सांब ने कृष्ण की बात मानी और कई वर्षों तक कठोर तपस्या करते हुए सूर्य उपासना की। उनकी साधना और श्रद्धा से प्रसन्न होकर भगवान सूर्य ने उनकी प्रार्थना स्वीकार की और सांब को कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गई। 


सूर्य मंदिरों की हुई स्थापना


सांब ने सूर्य से मिले वरदान के बाद अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के लिए कई सूर्य मंदिरों का निर्माण किया। यह भी माना जाता है कि सांब ने सूर्य उपासना के लिए शाकद्वीप से मग पुजारियों को बुलवाया था जो सूर्य देव के परम भक्त माने जाते थे। शाकद्वीपीय ब्राह्मणों को सूर्य का अंश कहा जाता है और इन्हें सूर्य उपासक के रूप में विशेष स्थान दिया जाता है।


सूर्य के हैं 12 अर्क स्थल


सूर्य को भारतीय परंपरा में ‘अर्क’ कहा जाता है। सूर्य के कुल 12 रूप हैं और देशभर में सूर्योपासना के 12 पवित्र स्थल हैं। इन्हें ‘अर्क स्थल’ कहा जाता है। इन स्थलों में से अधिकांश बिहार राज्य में स्थित हैं जो सूर्योपासना के महापर्व छठ से जुड़े हुए हैं। सांब की कथा को इन स्थलों की स्थापना से भी जोड़ा जाता है।


बिहार में सूर्य के प्रमुख अर्क स्थल


  1. देवार्क, औरंगाबाद: यह स्थल भगवान सूर्य के उपासकों के लिए प्रमुख स्थान है।
  2. ओलार्क, पटना: पटना जिले में स्थित यह स्थल सूर्य उपासना का प्रमुख केंद्र है।
  3. पुण्यार्क, पटना: यह स्थल भी पटना जिले में स्थित है और पवित्र माना जाता है।
  4. औगार्क, नालंदा: यह स्थल नालंदा में स्थित है और सूर्योपासना के लिए प्रसिद्ध है।
  5. बालार्क, नालंदा: नालंदा जिले में स्थित यह अर्क स्थल सूर्य उपासकों का महत्वपूर्ण स्थान है।
  6. मार्केण्डेयार्क, सहरसा: सहरसा जिले में स्थित इस स्थल का भी धार्मिक महत्व है।


इनके अतिरिक्त, भारत के अन्य प्रमुख सूर्य उपासना स्थल भी हैं। इनमें कोणार्क/ओडिशा, काठलार्क/उत्तराखंड, आदित्यरर्क/पंजाब और मोढेरार्क/गुजरात शामिल हैं। 


सूर्य के 12 रूप और 12 महीने


सूर्य की पूजा भारतीय समाज में प्राचीन काल से की जाती रही है। शास्त्रों में सूर्य के 12 रूप बताए गए हैं। ये भारतीय कैलेंडर के महीनों से जुड़े हुए हैं। प्रत्येक माह में सूर्य का एक अलग रूप होता है और उसका महत्व भी भिन्न होता है।


छठ पर्व और सूर्य उपासना


कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाए जाने वाले छठ पर्व का सूर्य उपासना से गहरा नाता है। छठ पर्व में भगवान सूर्य और षष्ठी माता की पूजा की जाती है। इस पर्व की परंपरा का भी उल्लेख पुराणों में मिलता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार महाराज मनु के पुत्र प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी ने पुत्र की प्राप्ति के लिए सूर्य की उपासना की थी। महर्षि कश्यप की सलाह पर किए गए इस व्रत से उन्हें पुत्र की प्राप्ति हुई लेकिन वह मृत था। तब षष्ठी माता ने प्रकट होकर उन्हें उपासना करने को कहा, जिससे उनका पुत्र पुनः जीवित हो गया। इस घटना ने छठ पर्व और सूर्य उपासना की महिमा को और भी अधिक बल प्रदान किया।


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।