दिसंबर में इन 10 दिनों में ही हो सकेंगे विवाह कार्यक्रम, इस तारीख से शुरू हो रहा खरमास
सदियों से शादियां भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रही है। आर्य पद्वति की ये प्रथा वैदिक काल से चली आ रही है। विवाह सदियों से शादियां भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा रही है। आर्य पद्वति की ये प्रथा वैदिक काल से चली आ रही है। विवाह को हिंदू धर्म में 16 प्रमुख संस्कारों में से एक माना जाता है और इसे शुभ मुहूर्त में पूर्ण करना विशेष महत्व रखता है। देवउठनी एकादशी के बाद से सभी प्रकार के शुभ कार्यों की शुरुआत हो चुकी है और नवंबर के बाद अब दिसंबर का महीना शादियों के लिए सबसे खास माना जा रहा है। इन महीनों में कई शुभ तिथियां निर्धारित की गई हैं, जिन पर पूरे देश में विवाह समारोह आयोजित किए जाएंगे।
दिसंबर 2024 में विवाह के शुभ मुहूर्त
दिसंबर का महीना शादियों के लिए बेहद खास रहेगा। इस महीने में कुल 10 शुभ तिथियां हैं, जो निम्नलिखित हैं।
- 2 दिसंबर
- 3 दिसंबर
- 4 दिसंबर
- 5 दिसंबर
- 9 दिसंबर
- 10 दिसंबर
- 11 दिसंबर
- 13 दिसंबर
- 14 दिसंबर
- 15 दिसंबर
खरमास से पहले निपटा लें शुभ कार्य
इन तिथियों पर मंदिरों, धर्मशालाओं, मैरिज हॉल, तथा विभिन्न घरों में शादी के आयोजन देखने को मिलेंगे। परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ इन दिनों शहनाइयों की गूंज हर दिशा में सुनाई देगी। हालांकि, इन शुभ तिथियों के बाद खरमास शुरू हो जाएगा, जिसके कारण विवाह जैसे मांगलिक कार्य रुक जाएंगे।
कब से शुरू होगा खरमास?
ध्यान देने वाली बात यह है कि 16 दिसंबर 2024 से खरमास शुरू हो जाएगा, जो 15 जनवरी 2025 तक चलेगा। खरमास के दौरान विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य शुभ कार्य नहीं किए जाते। हिंदू धर्म में इस अवधि को अशुभ माना जाता है, इसलिए जो लोग इस वर्ष शादी करने की योजना बना रहे हैं, उनके पास दिसंबर के पहले पखवाड़े तक का ही समय है।
विवाह का महत्व और शुभ मुहूर्त की भूमिका
हिंदू धर्म में विवाह केवल एक सामाजिक आयोजन नहीं है। बल्कि, इसे एक पवित्र संस्कार माना गया है। यह न केवल दो व्यक्तियों को जोड़ता है, बल्कि उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है। विवाह को सफल और शुभ बनाने के लिए सही मुहूर्त का चयन आवश्यक है।
देवउठनी एकादशी से शुरू होने वाले समय को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दौरान संपन्न हुए विवाह दांपत्य जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाते हैं। इस अवधि में मंदिरों, धर्मशालाओं, और मैरिज हॉल में धार्मिक व सांस्कृतिक गतिविधियां अपने चरम पर होती हैं।
दो परिवारों को एकजुट करता है विवाह
पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ विवाह करना ना सिर्फ परिवार की परंपराओं को आगे बढ़ाने का अवसर देता है। बल्कि, यह समाज और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखने में भी मदद करता है। यह आयोजन परिवार और समाज को एक साथ लाने का मौका प्रदान करता है, जहां रिश्ते मजबूत होते हैं और जीवनभर की यादें संजोई जाती हैं। इसलिए, यदि आपके परिवार या दोस्तों में इस साल शादी की योजना बन रही है, तो इन शुभ तिथियों का ध्यान रखें।
उत्साह और उल्लास का प्रतीक
दिसंबर के पहले पखवाड़े में आयोजित होने वाले समारोहों का हिस्सा बनें और खुशियों के इन पलों को संजोएं। क्योंकि, ये मौके केवल रस्में निभाने का अवसर नहीं होते बल्कि जीवनभर की यादें बनाने का भी समय होते हैं। आने वाले समय में दिसंबर में शादी का यह सीजन पूरे देश में उत्साह और उल्लास का प्रतीक बनेगा।