श्रीराम-जानकी विवाहोत्सव में अयोध्या से जनकपुर की बारात यात्रा जारी, यहां जानें तिथिवार कार्यक्रम
अयोध्या से जनकपुर के लिए भगवान श्रीराम की भव्य बारात मंगलवार को रवाना हो गई। विवाह पंचमी के अवसर पर 6 दिसंबर को जनकपुर में भगवान राम और माता सीता का विवाह संपन्न होगा। इस बारात में 250 से अधिक लोग, 4 रथ एवं 20 से अधिक गाड़ियां शामिल हैं। बारात बिहार के बक्सर होते हुए जनकपुर के पुनौरा धाम पहुंचेगी। श्रद्धालुओं में इस धार्मिक यात्रा को लेकर भारी उत्साह है। 26 नवंबर से 9 दिसंबर तक चलने वाले इस आयोजन में कई धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। हर साल की तरह इस बार भी यह दिन विशेष होगा।
विवाहोत्सव का पूरा विवरण
मां सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में श्रीराम और जानकी विवाहोत्सव को लेकर धूमधाम से तैयारियां की जा रही हैं। पांच साल बाद, अयोध्या से नेपाल के जनकपुर तक श्रीसीताराम विवाह बारात यात्रा का आयोजन हो रहा है। विवाह पंचमी के इस पावन अवसर को हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। इस आयोजन में अयोध्या, मिथिला और नेपाल के लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे।
बारात का रूट और कार्यक्रम
इस बारात यात्रा के लिए विश्व हिंदू परिषद (VHP) के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज ने रूट चार्ट जारी किया है। 26 नवंबर को बारात अयोध्या के कारसेवकपुरम से रवाना हुई और 28 नवंबर को बिहार के बक्सर में प्रवेश कर चुकी है।
रूट का विवरण
- 29 नवंबर: बारात पाटलिपुत्र और हाजीपुर होते हुए कांटी पहुंचेगी।
- 30 नवंबर: शिवहर और रुन्नीसैदपुर के रास्ते पुनौरा धाम (जानकी मंदिर) पहुंचेगी।
- 1 दिसंबर: पुपरी और अहिल्या स्थान होते हुए बेनीपट्टी में रात्रि विश्राम।
- 2 दिसंबर: मधवापुर और मटिहानी में धार्मिक आयोजन।
- 4 दिसंबर: दशरथ मंदिर में समधी मिलन।
- 6 दिसंबर: जनकपुर के बरबीघा मैदान में श्रीराम-सीता का विवाह होगा।
- 9 दिसंबर: बारात गोरखपुर लौटेगी।
जानिए इस दिव्य बारात की विशेषताएं
इस भव्य आयोजन में 250 से अधिक लोग शामिल हैं। बारात में चार रथ और 20 से अधिक गाड़ियां हैं। ढोल-नगाड़ों, बैंड-बाजों के साथ निकली यह बारात जहां-जहां पहुंच रही है, वहां श्रद्धालुओं का भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस यात्रा की शोभा बढ़ा रहे हैं।
विवाह पंचमी का महत्व
विवाह पंचमी जो इस साल 6 दिसंबर को मनाई जाएगी, हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह संपन्न हुआ था। श्रद्धालु इस दिन को उनकी विवाह वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं। अयोध्या से लेकर मिथिला तक यह आयोजन हिंदू संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। इतना ही नहीं, इस विवाहोत्सव के दौरान जनकपुर के बरबीघा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में हजारों लोग उपस्थित होंगे। धार्मिक अनुष्ठानों, भजनों और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों से यह आयोजन भक्तिमय माहौल तैयार करेगा।
अंतिम दिन का कार्यक्रम
9 दिसंबर को यह भव्य बारात नेपाल के जनकपुर से बिहार के रास्ते गोरखपुर लौट जाएगी। बता दें कि इस भव्य आयोजन ने देशभर से आए श्रद्धालुओं को भगवान राम और माता सीता की दिव्य कथा से जोड़ने का काम किया है।