श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि 2024 (Shri Ganesh Chaturthi Puja Vidhi 2024)

गणेश चतुर्थी के दिन इस तरह करें भगवान श्री गणेश की पूजन, शुभ मुहूर्त में स्थापना करने से मिलेगा ये फायदा 


"ॐ गणेशाय नमः" भगवान श्री गणेश को समर्पित इस मंत्र का उच्चारण उनकी कृपा और आशीर्वाद के साथ उनका आह्वान करने के लिए किया जाता है, इस मंत्र का अर्थ होता है - ” श्री गणेश आपको नमस्कार है।" 


हिंदू धर्म में प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ऐसे ही जब भी बड़े त्योहारों की शुरूआत होती है, तो सबसे पहले गजानन की ही पूजा होती है। श्रावण और भाद्रपद मास आते ही एक के बाद एक त्योहार आने शुरु हो जाते हैं लेकिन इन सब में भी जो सबसे पहला बड़ा त्योहार आता है वो गणेशोत्सव है। गणेशोत्सव की शुरूआत गणेश चतुर्थी से होती, जो सामान्य तौर पर अगस्त या सितंबर में आती है। इस दौरान जगह-जगह पर पंडाल लगाए जाते हैं और हर घर में गणपति बप्पा का आगमन होता है। कहा जाता है कि गणेशोत्सव के दौरान स्वयं भगवान गणेश अपने भक्तों के बीच रहने के लिए पृथ्वी पर आते हैं और अनंत चतुर्दशी तक यहीं पर निवास करते हैं। इस बार श्री गणेश उत्सव की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है. तो आईए भक्तवत्सल के इस लेख में आपको बताते हैं गणेश चतुर्थी के इतिहास इसकी पौराणिक कथा के बारे में साथ ही जानेंगे गणेश चतुर्थी के शुभ मुहुर्त और व्रत से जुड़े नियमों को भी…


गणेश चतुर्थी 2024 की तिथि और शुभ मुहुर्त


भगवान गणेश के जन्मोत्सव का ये पर्व हिंदू माह भाद्रपद के चौथे दिन यानी चतुर्थी से शुरू होता है, जो आमतौर पर ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अगस्त और सितंबर के बीच मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार 2024 में गणेश चतुर्थी शुक्रवार 6 सितंबर को दोपहर 03:01 बजे शुरू होगी जो मंगलवार 07 सितंबर की शाम 05:37 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार गणेश चतुर्थी 07 सितंबर को है इसलिए हिंदू धर्म में 07 सितंबर को ही गणेश उत्सव की शुरुआत होगी। 10 दिन तक चलने वाले गणेश उत्सव के बाद 17 सितंबर दिन मंगलवार को श्री गणेश की मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा और ये उत्सव अगली साल तक के लिए स्थगित हो जाएगा। 


गणेश चतुर्थी के दिन ऐसे करें श्री गणेश का पूजन 


1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ और धुले कपड़े पहनें।

2. घर के मंदिर में या पूजा स्थल पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।

3. मूर्ति को स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाएं।

4. भगवान गणेश को सिंदूर, चंदन और फूल चढ़ाएं।

5. मोदक, लड्डू और अन्य प्रसाद चढ़ाएं।

6. भगवान गणेश की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।


श्री गणेश को प्रसन्न करन के लिए आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:


"ॐ गणेशाय नमः"
"ॐ गं गणपतये नमः"
“ॐ श्री सिद्दी बुध्दि सहिताय श्रीमन् महागणाधिपतये नम:”


7. पूजा के बाद, प्रसाद वितरित करें और परिवार के साथ मिलकर भोजन करें।

8. शाम को भगवान गणेश की आरती कर पुष्पांजलि अर्पित करें।


कई जगहों पर जैसे महाराष्ट्र में तीन दिन में ही गणेश जी का विसर्जन कर दिया जाता हैं, लेकिन मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे और भी कई राज्यों में इस पर्व को 10 दिन के लिए मनाया जाता है, और 10वें दिन भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है। 


पूजा के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखें:


  •  भगवान गणेश की मूर्ति को कभी भी सीधे जमीन पर न रखें।
  •  मूर्ति को हमेशा एक चौकी या पीठ पर रखें।
  • पूजा के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति को निहारें और उनकी कृपा के लिए उनका आह्वान करें।
  • पूजा के बाद प्रसाद को कभी भी जमीन पर न गिराएं।


भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी पौराणिक कथा 


हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री गणेश का जन्म भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन हुआ था। जिसे हम लोग गणेश चतुर्थी के नाम से जानते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश को माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से उत्पन्न किया था, हालांकि कुछ जगहों पर गणेश के उत्पन्न होने की कथा में माता के मैल की जगह उबटन का जिक्र आता है। जानकारी के मुताबिक माता ने एक बालक की मूर्ति बनाई और फिर में प्राणप्रतिष्ठा कर दी। कथा के मुताबिक माता ने इस बालक का निर्माण अपने पति भगवान शिव की अनुपस्थिति में घर की रखवाली करने के लिए और अपनी सखियों जया और विजया के कहने पर किया था। गणेश जी को पहरेदारी की जिम्मेदारी सौंपकर जब माता स्नान गृह में गईं तो उसी समय भगवान शिव घर लौट आए। एक दूसरे से पहचान ना होने की वजह से श्री गणेश ने शिव को भीतर जाने से रोक दिया और दोनों के बीच घमासान युद्ध शुरु हो गया। इससे भगवान शिव ने क्रोधित होकर अपने त्रिशूल से बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया। 


जब माता पार्वती युद्ध का शोर सुनकर बाहर आईं, तो अपने पुत्र की हालत देखकर विलाप करने लगी और क्रोध में आकर नव देवी का रूप धारण कर लिया। पार्वती के विलाप से दुखी होकर भगवान शिव ने अपने सेवकों को आदेश दिया कि वे उस बालक के लिए एक नया सिर लेकर आएं। जब बहुत खोजने पर भी सेवक सिर नहीं खोज पाए तो वे एक हाथी का सिर ले आए। भगवान शिव ने हाथी के सिर को उस बालक के शरीर से जोड़ दिया। तभी से उन्हें गणेश और गजानन जैसे कई नामों से जाना जाने लगा। इसके बाद सभी देवताओं ने भगवान गणेश प्रथम पूज्य और शक्तियों के कई वरदान दिए।


गणेश चतुर्थी व्रत के नियम


1. व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए और नए और साफ कपड़े पहनने चाहिए।

2. इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए और उन्हें मोदक, लड्डू और अन्य प्रसाद चढ़ाने चाहिए।

3.  दिनभर उपवास रखना चाहिए और केवल एक बार भोजन करना चाहिए।

4. रात में भगवान गणेश की आरती करनी चाहिए और मंत्रों का जाप करना चाहिए।

5. अगले दिन सूर्योदय से पहले उठकर भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारायण करना चाहिए।


गणेश चतु्र्थी का व्रत रखने से प्राणी को :


1. भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

2. बुद्धि और ज्ञान में वृद्धि होती है।

3. विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं।

4. सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।

5. भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


गणेश चतुर्थी के व्रत और पूजा के समय गणेश चतुर्थी व्रत की कथा का पाठ करना चाहिए, ये कथा आपको भक्तवत्सल वेबसाइट पर कथा सेक्शन में मिल जाएगी.


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