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पितृपक्ष के दौरान इन खास वस्तुओं का करें दान, चमत्कारी फायदों के साथ खिल उठेगा जीवन

जब धरती पर अंधकार की छाया गहराती है और चंद्रमा की रोशनी में कई तारे आसमान में टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं तब हमें याद आती हैं हमारे पूर्वजों की। बचपन में सुनी नानी-दादी की कहानियां तो यही कहती हैं कि जब भी किसी की मृत्यु हो जाती है, वह आसमान में एक तारे का रूप ले लेता है। हालांकि ये सब तो सिर्फ बचपन की कहानियों में होता है क्योंकि असल वास्तविकता तो कुछ और ही है।  दरअसल जब भी हम उन तारों को देखते हैं, तो याद करते हैं हमारे पूर्वजों को और तब हमें एहसास होता है कि हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कुछ करना जरूरी है। क्योंकि अगर आपके जीवन में एक के बाद एक कई परेशानियां आ रही हैं तो आपको पितृ दोष हो सकता है, और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृ पक्ष से अच्छा समय कोई नहीं हो सकता । 


पितृ पक्ष हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष में आते हैं। इस दौरान दान-पुण्य करना एक प्राचीन परंपरा है, जो हमें अपने पितरों के साथ जोड़ती है और उनकी आत्मा की शांति के लिए कुछ करने का अवसर देती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह परंपरा क्यों इतनी महत्वपूर्ण क्यों है? पितृ पक्ष में कौन सी चीजों का दान करना सही होता है और इस दान से क्या लाभ होते हैं?  जानते हैं सभी सवालों के जवाब भक्तवत्सल के इस लेख में....


पितृ पक्ष में दान पुण्य करने का महत्व 


पितृ पक्ष में दान पुण्य करने का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। पितृ पक्ष में लोग अपने पितरों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए दान पुण्य करते हैं। दान पुण्य करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों से संतुष्ट होते हैं। पितृ पक्ष में दान पुण्य करने से वंशजों को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है। पितृपक्ष में दान पुण्य करने के लिए लोग अन्न, वस्त्र, धन आदि दान करते हैं। साथ ही पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि भी करते हैं। पितृ पक्ष में दान पुण्य करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।


पौराणिक कथाओं के मुताबिक पितृपक्ष के दौरान पूर्वज यमलोक से धरती पर आते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस दौरान कुछ चीजों का दान आपके लिए फलदायी हो सकता है। इन वस्तुओं के बारे में आर्टिकल के अंत में विस्तार से लिखा हुआ है।


पितृ पक्ष में दान करने की विधि 


1. स्नान और पूजा: पितृ पक्ष के दौरान स्नान करने के बाद पितरों की पूजा करनी चाहिए।


2. तर्पण: पितृ पक्ष के दौरान तर्पण करना आवश्यक है। तर्पण करने के लिए जल में तिल, कुशा और दूध मिलाकर पितरों को अर्पित करना चाहिए।


3. पिंड दान: पितृ पक्ष के दौरान पिंड दान करना महत्वपूर्ण है। पिंडदान करने के लिए चावल को उबालकर उसे हाथों से पीस कर उसमें गाय का दूध, घी और शहद मिलाया जाता है। फिर उनके पिंड बनाए जाते हैं और उन पिंडों को पितरों को अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि चावल से बने पिंड से पितर लंबे समय तक संतुष्ट रहते हैं। 


4. ब्राह्मण भोज: पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मण भोज करना आवश्यक है। ब्राह्मण भोज करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और उन्हें दान देना चाहिए।


5. दान: पितृ पक्ष के दौरान दान करना महत्वपूर्ण है। इसमें आप अन्न, वस्त्र और धन दान करना चाहिए।


6. श्राद्ध: पितृ पक्ष के दौरान श्राद्ध करना आवश्यक माना गया है। श्राद्ध करने के लिए पितरों के निमित्त भोजन बनाना चाहिए और उसे ब्राह्मणों को अर्पित करना चाहिए।


पितृ पक्ष में इन चीजों का कर सकते हैं दान 


पितृ पक्ष में दान करने का बहुत महत्व है। इस दौरान आप कई चीजों का दान कर सकते हैं। जैसे : 


1. गौ दान 

पितृ पक्ष के दौरान गौ दान करना दानों में श्रेष्ठ माना गया है। पुराणों में इस दान का बहुत खास महत्व बताया गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार गौ दान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। गौ दान करने से वंश की रक्षा होती है और परिवार की सुख-समृद्धि बढ़ती है। साथ ही सभी पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शुद्धि होती है। पितृ पक्ष में गौ दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। 


2. अनाज का दान

पितृपक्ष में अन्न दान करने का बहुत महत्व है। अन्न दान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार जौं को धरती का पहला अनाज माना गया है। पितृ पक्ष के दौरान इसे खरीदने से अन्न-धन के भंडार हमेशा भरे रहते हैं। धार्मिक दृष्टिकोण से इसे देखा जाए तो जौं को सोने के समान माना जाता है। जो व्यक्ति इसका दान करता है उसे स्वर्ण दान के समान फल प्राप्त होता है। इससे पितृ दोष दूर होता है। अन्न दान में गेहूं, चावल का दान करना चाहिए। इनके अभाव में कोई दूसरा अनाज भी दान किया जा सकता है। यह दान संकल्प सहित करने पर मनोवांछित फल देता है। अन्न दान करने से पितरों को भोजन मिलता है और वे तृप्त होते हैं। साथ ही अन्न दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और आत्मा की शुद्धि होती है। पितृ पक्ष के दौरान किसी भी जरूरतमंद को अन्न का दान करना सबसे अच्छा माना जाता है। अनाज के साथ ही गाय का घी एक पात्र (बर्तन) में रखकर दान करना परिवार के लिए शुभ और मंगलकारी माना जाता है। 


3. वस्त्र दान

गरुड़ पुराण एवं अन्य शास्त्रों के अनुसार, हमारी तरह पूर्वजों पर भी मौसम परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है। उन्हें भी सर्दी, गर्मी का एहसास होता है इसलिए मौसम के प्रभाव से बचने हेतु पितृगण अपने वंशजों एवं पुत्रों से वस्त्र की कामना रखते हैं। जो व्यक्ति अपने पितरों के निमित्त वस्त्र दान करते हैं उन पर सदैव पितरों की कृपा बनी रहती है। ऐसे में धोती एवं दुपट्टे का दान उत्तम माना गया है। यह वस्त्र नए और स्वच्छ होना चाहिए।


4. भूमि दान 

शास्त्रों में भूमि यानी जमीन का दान सर्वोत्तम दान बताया गया है। महाभारत के अनुसार गलती या अनजाने में हुए पापों से मुक्ति भी भूमि का दान करने से मिल जाती है। भूमि दान से अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि भूमि दान से यश, मान-सम्मान एवं स्थायी संपत्ति में वृद्धि होती है। अगर आप आर्थिक रूप से संपन्न हैं तो श्राद्ध पक्ष में किसी कमजोर या गरीब व्यक्ति को भूमि का दान आपको संपत्ति और संतान लाभ देता है। किंतु अगर यह संभव न हो तो भूमि के स्थान पर मिट्टी के कुछ ढेले थाली में रखकर किसी ब्राह्मण को दान कर सकते हैं। 


5. तिल का दान

श्राद्ध के हर कर्म में तिल का महत्व है। इसी तरह श्राद्ध में दान की दृष्टि से काले तिलों का दान संकट, विपदाओं से रक्षा करता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान जो व्यक्ति काले तिल दान करता है उसे सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। काले तिल का दान करने से व्यक्ति को ग्रह और नक्षत्र से होने वाली कोई भी बाधा से मुक्ति तो मिलती ही है साथ में सभी संकटों भी दूर होते हैं। कहते हैं कोई भी श्राद्ध काले तिल के बिना पूर्ण नहीं होता। तर्पण के दौरान हाथ में जल और काला तिल लेकर ही पूर्वजों को जल अर्पित किया जाता है। इन दिनों में काला तिल खरीदने और दान करने से वंश का विस्तार होता है और संतान की कामना भी पूर्ण हो जाती है। काला तिल भगवान विष्णु को प्रिय है। श्राद्ध पक्ष में इसके दान का फल पितरों को प्राप्त होता है। अगर किसी अन्य वस्तु का दान न भी हो पाए तो सिर्फ तिल का दान भी किया जा सकता है। यह भी मान्यता है कि तिल का दान करने से पितर आने वाली परेशानियों से बचाते हैं।


6. सोने-चांदी का दान

यदि कोई व्यक्ति पितृ पक्ष की अवधि के दौरान स्वर्ण यानी सोने का दान करता है तो उसकी गुरु संबंधी सभी बाधाएं दूर होती हैं और समस्त रोगों से मुक्ति मिलती है। वहीं चांदी को चन्द्रमा का कारक माना जाता है इसलिए इस अवधि के दौरान चांदी का दान सभी रोगों से मुक्ति दिलाता है। इससे परिवार में सुख शांति एवं एकता बनी रहती है। पितरों के आशीर्वाद और संतुष्टि के लिए चांदी का दान बहुत प्रभावकारी माना गया है। पितृ दोष निवारण के लिए चांदी का दान भी शुभ माना जाता है। पितरों का ध्यान कर के अगर चांदी का दान किया जाए तो आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। सोने का दान कलह का नाश करता है। किंतु अगर सोने का दान संभव न हो तो सोने के दान के निमित्त यथाशक्ति धन दान भी कर सकते हैं। पुराणों में पितरों का निवास स्थान चंद्रमा के ऊपरी भाग में बताया गया है। इसी के अनुसार पितरों को चांदी की वस्तुएं प्रिय मानी गई हैं। तभी माना जाता है कि चांदी, चावल, दूध से पितर प्रसन्न होते हैं। इसलिए पितृ पक्ष में चांदी का दान करना भी शुभ फल देता है।



7. सरसों और चमेली का तेल 

पितृपक्ष के दौरान सरसों और चमेली के तेल का दान करने से घर में चल रही आर्थिक तंगी दूर होती है और धन का आगमन बना रहता है। श्राद्ध पक्ष में पितरों के नाम का सरसों के तेल का दीपक लगाना चाहिए। ऐसा करने से वे प्रसन्न होते हैं।


8. कुशा का दान 

श्राद्ध में कुशा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।  कुशा की अंगूठी पहनकर ही पूर्वजों का तर्पण किया जाता है। कहते हैं इसके बिना वो जल स्वीकार नहीं करते हैं। माना जाता है कि कुश की उत्पत्ति श्री हरि के रोम से हुई है। इसलिए कुश को घर में लाने से परिवार में खुशहाली बनी रहती है और बिगड़े हुए काम भी बन जाते हैं।


9. गुड़ और नमक का दान 

जिन लोगों के घर में अक्सर लड़ाई-झगड़े और आर्थिक परेशानियां बनी रहती हैं उन्हें पितरों के निमित्त गुड़ एवं नमक का दान अवश्य करना चाहिए। गरुड़ पुराण के अनुसार नमक के दान से यम का भय भी दूर होता है। पितरों की प्रसन्नता के लिए नमक का दान बहुत महत्व रखता है। श्राद्ध पक्ष के दौरान नमक दान करने से किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है और यदि पितरों पर कोई कर्ज था तो उन्हें उससे भी मुक्ति मिलती है। श्राद्ध के दौरान पितरों को यदि गुड़ का दान किया जाता है तो इससे घर में सुख शांति का वातावरण बना रहता है। गुड़ का दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।


10. छतरी का दान

पितृपक्ष में पितरों के नाम से छतरी का दान करने से भी जीवन में सुख शांति आती है। ज्योतिष विद्या के अनुसार, पितृ पक्ष में छाते का दान करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं।


11. जूते-चप्पल का दान 

पितृ पक्ष में पितरों की शांति के लिए जूते-चप्पल का दान करना भी शुभ माना गया है। इसलिए पितरों के निमित्त किसी जरूरतमंद को जूते चप्पल का दान करने से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।


पितृपक्ष में दान करने से कई लाभ होते हैं


1. पितरों की आत्मा की शांति: दान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे अपने वंशजों से संतुष्ट होते हैं।


2. पुण्य की प्राप्ति: पितृपक्ष में दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।


3. आशीर्वाद: दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है।


4. संतान की प्राप्ति: पितृपक्ष में दान करने से संतान की प्राप्ति हो सकती है।


5. आर्थिक समृद्धि: दान करने से आर्थिक समृद्धि आती है और व्यक्ति के जीवन में धन की कमी नहीं रहती।


6. बीमारियों से मुक्ति: पितृपक्ष में दान करने से व्यक्ति बीमारियों से मुक्त हो सकता है।


7. मानसिक शांति: दान करने से मानसिक शांति मिलती है और व्यक्ति के जीवन में चिंता और तनाव कम होता है।


8. पूर्वजों का आशीर्वाद: पितृपक्ष में दान करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है।


9. कर्मों का निवारण: दान करने से व्यक्ति के पिछले कर्मों का निवारण हो सकता है।


10. आत्मा की शुद्धि: पितृपक्ष में दान करने से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और वे आध्यात्मिक ज्ञान की ओर बढ़ते हैं।


पितृपक्ष में दान नहीं करने के ये हो सकते हैं परिणाम 


1. पितरों की नाराजगी: पितृपक्ष में दान नहीं करने से पितर नाराज हो सकते हैं और अपने वंशजों से रुष्ट हो सकते हैं।


2. पितृदोष: पितृपक्ष में दान नहीं करने से पितृदोष हो सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में परेशानियां और कठिनाइयां आ सकती हैं।


3. संतानहीनता: पितृपक्ष में दान नहीं करने से संतानहीनता की समस्या हो सकती है।


4. आर्थिक समस्याएं: पितृपक्ष में दान नहीं करने से आर्थिक समस्याएं और दरिद्रता आ सकती है।


5. बीमारियां: पितृपक्ष में दान नहीं करने से व्यक्ति को बीमारियाँ और शारीरिक कष्ट हो सकते हैं।


6. मानसिक तनाव: पितृपक्ष में दान नहीं करने से मानसिक तनाव और चिंता हो सकती है।


7. पूर्वजों की शाप: पितृपक्ष में दान नहीं करने से पूर्वजों की शाप लग सकती है, जिससे व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं आ सकती हैं।


Disclaimer: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इससे होने वाले लाभ और हानि प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग हो सकते हैं और पितृपक्ष में दान करने का महत्व व्यक्तिगत विश्वास और परंपराओं पर निर्भर करता है।


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