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साल 2025 की शुरूआत हो गई है और यह समय नए संकल्प लेने और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का है। अगर आप इस साल अपने जीवन में आध्यात्मिक और सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं, तो मथुरा के इन प्रमुख मंदिरों के दर्शन करना एक उत्तम विकल्प हो सकता है।
मथुरा के इन मंदिरों में दर्शन करने से आपको आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी, जो आपके पूरे साल को सकारात्मक और समृद्ध बनाने में मदद करेगी। तो आइए, जानते हैं मथुरा के उन मंदिरों के बारे में जहां आपको साल 2025 में जरूर जाना चाहिए।
मथुरा से थोड़ी दूर पर वृंदावन में स्थित बांके बिहारी जी का मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। इस मंदिर में स्थापित श्री कृष्ण की मूर्ति बहुत भव्य है। इस मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति के दर्शन के लिए देशभर से ही नहीं बल्कि विदेश तक से लोग आते हैं। बांकेबिहारी मंदिर में स्थित मूर्ति को लेकर कहा जाता है कि बांके बिहारी की मूर्ति में दो प्राणों का वास है।
भगवान गोविंद देव अर्थात श्रीकृष्ण का यह मंदिर वृंदावन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण राजा मानसिंह ने सन् 1590 में कराया था। निर्माण के समय मंदिर 7 मंजिला हुआ करता था। इसके सबसे ऊपरी मंजिला पर एक विशालकाय दीपक का निर्माण कराया गया था और इस दीपक में प्रतिदिन बाती की लौ को जलाए रखने के लिए 50 किलोग्राम से अधिक देसी घी का उपयोग होता था। यह मंदिर भगवान श्री कृष्ण के गोविंद रूप को समर्पित है। यह आपके अंदर एक आंतरिक शांति और भक्ति की भावना प्रदान करता है।
द्वारकाधीश मंदिर में हर दिन हजारों की संख्या में लोग अपने आराध्य के दर्शन करने के लिए आते हैं। भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है। यह मंदिर अपने झूले के त्यौहार के लिए भी मशहूर है जो हर श्रावण महीने के अंत में आयोजित होता है और इससे बरसात की शुरुआत का आगाज़ भी होता है।
यह मंदिर मथुरा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। इसे भी मुस्लिम शासकों ने सन् 1669 ईस्वी में नष्ट कर दिया। अब यह विवादित क्षेत्र बन चुका है क्योंकि जन्मभूमि के आधे हिस्से पर ईदगाह है और आधे पर मंदिर। हालांकि इससे भक्तों के बीच मंदिर को लेकर आस्था कम नहीं हुई है।
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