खरमास में किसकी पूजा करें

Kharmas 2024: खरमास में किन देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए है? अक्षय फल की होगी प्राप्ति  


हिंदू ज्योतिष शास्त्र में खरमास एक महत्वपूर्ण अवधि है। यह वह समय होता है जब सूर्य ग्रह गुरु की राशि धनु अथवा मीन में प्रवेश करते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दौरान ब्रह्मांड में एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न होती है। इसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। हालांकि, इस दौरान भी मनुष्य पूजन कर सकते हैं। बल्कि, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस काल में पूजन से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति भी हो सकती है। तो आइए इस आलेख में खरमास और इस काल में देव पूजन के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


कब लगेगा खरमास? 


बता दें कि खरमास साल में दो बार आता है। पहला मार्च से अप्रैल और दूसरा दिसंबर से जनवरी महीने तक।

इस वर्ष खरमास 15 दिसंबर 2024 से आरंभ होकर 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, या नई शुरुआत, टाले जाने का सुझाव दिया जाता है।


खरमास में क्यों पूजे जाते हैं ये दोनों देवता? 


खरमास के दौरान भले ही शुभ कार्य निषिद्ध हों, लेकिन इस समय भगवान विष्णु और सूर्यदेव की पूजा का विशेष महत्व है। यह पूजा ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी लाभकारी मानी जाती है। नियमित रूप से इन देवी-देवताओं का स्मरण और पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।


खरमास में क्यों की जाती है सूर्यदेव की पूजा?


खरमास में सूर्यदेव की पूजा अत्यंत फलदायक मानी जाती है। सूर्यदेव को कर्म और आत्मा का कारक माना गया है। उनकी पूजा से व्यक्ति को मान-सम्मान, आरोग्य और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष दूर होते हैं।


सूर्यदेव की पूजा विधि


  • सूर्योदय से पहले उठें:- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पवित्रता बनाए रखें। स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा की तैयारी करें।
  • पूजा स्थल तैयार करें:- एक पवित्र स्थान को साफ करें और वहां सूर्यदेव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि प्रतिमा उपलब्ध ना हो, तो सूर्यदेव के प्रतीक चिन्ह जैसे जल से भरा तांबे का लोटा भी रख सकते हैं। 
  • दीप और धूप जलाएं:- पूजा स्थल पर दीपक और धूपबत्ती जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।
  • सूर्य मंत्र का जाप करें:- पूजा के दौरान "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का 108 बार या कम से कम 11 बार जाप करें।
  • अर्घ्य अर्पित करें:- एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें। उसमें लाल फूल, चावल और रोली डालें। इस जल को सूर्योदय के समय सूर्यदेव को अर्पित करें। अर्घ्य देते समय "ॐ सूर्याय नमः" का जाप करें।
  • पूजा का समापन:- पूजा समाप्त करने के बाद एक बार फिर "ॐ सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें।


क्यों की जाती है खरमास में भगवान विष्णु की पूजा?  


खरमास के दौरान भगवान विष्णु जी की पूजा भी शुभ मानी जाती है। मान्यता है कि उनकी पूजा से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, विवाह में आ रही परेशानियां समाप्त होती हैं। इसके अलावा कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है।


जान लें भगवान विष्णु की पूजा विधि


  • ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें और पूजा स्थल तैयार करें।
  • भगवान विष्णु का ध्यान करने हेतु पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अगर चित्र या प्रतिमा ना हो, तो "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करते हुए भगवान विष्णु का ध्यान करें।
  • अब भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें। इसके लिए गंगाजल या शुद्ध जल का उपयोग करें।
  • इसके उपरांत भगवान विष्णु के समक्ष धूप और दीपक जलाएं।
  • भगवान विष्णु को फल, मिठाई और ताज़ा पकवान अर्पित करें।
  • पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।


खरमास में पूजा के लाभ


  • सूर्यदेव की पूजा से आत्मबल, स्वास्थ्य और समाज में मान-सम्मान बढ़ता है।
  • भगवान विष्णु की पूजा से जीवन की परेशानियां और कुंडली दोष समाप्त होते हैं।
  • पूजा से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

डिसक्लेमर

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