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विघ्न विनाशक, रिद्धि-सिद्धि के दाता और देवताओं के राजा गजानन गणपति महाराज सदा अपने भक्तों की सहायता करते हैं। उनकी पूजा-अर्चना से प्रसन्न होकर बप्पा हर बाधा को दूर कर सुख, समृद्धि, धन, वैभव देते हैं। गणेश जी की भक्तों पर दया करने की कई कथाएं प्रचलित हैं।
भक्त वत्सल की गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज ‘गणेश महिमा’ में आज हम आपको गणेश जी की महिमा की एक खास कथा बताने जा रहे हैं।
एक बार बचपन में भगवान गणेश भक्तों की परीक्षा लेने के लिए अपनी छोटी सी मुठ्ठी में चावल और एक चम्मच में दूध लेकर पृथ्वी पर आ गए। भगवान धरती पर जिससे भी मिले उसे इस थोड़ी सी सामग्री से खीर बनाने को कहने लगे। लेकिन ज्यादातर लोगों ने उनका मजाक उड़ाया और उनकी बात पर ध्यान नहीं दिया।
तभी गणेश जी एक गरीब बुढ़िया के पास पहुंचे और खीर बनाने का अनुरोध करने लगे। बुढ़िया को छोटे बालक गणेश पर दया आ गई और खीर बनाने के लिए मान गई। उसने अपने घर में एक भगोना चूल्हे पर चढ़ाया तो गणेश जी ने कहा कि माई घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर रखो। बुढ़िया ने बच्चे का दिल ना दुखाने की बात सोची और घर का सबसे बड़ा भगोना चूल्हे पर चढ़ा दिया। फिर बुढ़िया ने गणेश जी के हाथों में सामग्री लेकर उस भगोने में डाल दी। ताकि गणेश जी को बुरा ना लगे और वह घर के अंदर चली गई ताकि बहुत सा दूध और चावल ला सके।
लेकिन तभी भगवान गणपति की माया से चमत्कार हुआ और पूरा भगोना खीर से भर गया। जब तक बुढ़िया बाहर लौटी गणेश जी वहां से जा चुके थे। इस बीच बुढ़िया के पोते-पोती आए तो उन्हें भूख लगने लगी। बुढ़िया ने उन्हें भगोने में से खीर खिला दी। खीर पड़ोसन को भी दे दी। उसके बेटे बहू ने भी खीर खा ली।
इसके बाद जब बुढ़िया को भुख लगी तो वो भी खीर खाने लगी। लेकिन खाने के पहले उसने भगवान को पुकारा और बोली, ‘आजा रे गणेस्या खीर खा ले।’ तभी गणेश जी वहां पहुंच और बोले जब आपके पोते-पोती, पड़ोसन और बहू ने खीर खा रहे थे उन्हें देखकर मेरा पेट भर गया। गणेश जी के दर्शन पाकर बुढ़िया धन्य हो गई और बप्पा की इच्छा अनुसार उसने बची हुई खीर सारे नगर में बांट दी।
बुढ़िया द्वारा खीर बांटने की खबर राजा तक पहुंच गई। राजा ने बुढ़िया को दरबार में बुलाया। बुढ़िया ने सब सच-सच बता दिया। राजा ने सच्चाई जानने के बाद बुढ़िया का खीर का भगोना अपने महल में मंगवाया। लेकिन राजा के महल में जैसे ही भगोना खोला गया तो उसमें कीड़े- मकोड़े व जहरीले जानवर तैरते नजर आए। राजा ने बर्तन वापस बुढ़िया को दे दिया।
बुढ़िया के घर भगोना फिर स्वादिष्ट खीर से भर गया। फिर बुढ़िया ने फिर गणेशजी से पूछा कि बची हुई खीर का क्या करें, तो गणेश जी ने कहा कि उसे झोपड़ी के कोने में गाड़ दो। बुढ़िया ने रात में खीर कोने में गढ्ढा करने के बाद गाढ़ दी। लेकिन भगवान की माया से सुबह एक-एक चावल का दाना हीरे-जवाहरात में बदल गया और इस तरह भगवान गणेश ने अपने भक्त के कष्टों का निवारण किया।
यह कहानी कितनी सत्य है और कितनी काल्पनिक इस बात पर गौर न करते हुए हमें इस बात पर गौर करना चाहिए कि भगवान अपने सच्चे भक्तों का साथ कभी नहीं छोड़ते। यही सत्य है और यही इस कहानी का संदेश भी।
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