गुरुवार का व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पूजा और व्रत है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके अवतार भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही गुरुवार का व्रत ज्ञान, आशीर्वाद, और समृद्धि के लिए भी माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि गुरुवार का व्रत क्यों किया जाता है और इसका धार्मिक महत्व क्या है।
गुरुवार का दिन विशेष रूप से गुरु और ब्रह्मा के दिन के रूप में जाना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, गुरु ज्ञान, शिक्षा और आशीर्वाद के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु का भी पूजन होता है, क्योंकि वह धर्म, समृद्धि और जीवन के मूल तत्वों के स्वामी हैं। इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और समृद्धि आने की मान्यता है।
विवाह योग
गुरुवार का व्रत विशेष रूप से छात्रों, शिक्षकों और ज्ञानार्जन करने वालों के लिए महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस दिन बृहस्पति देव का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है और पढ़ाई में सफलता मिलती है। यह भी कहा जाता है कि गुरुवार का व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा से विवाह योग जल्दी बनता है।
धन और समृद्धि का आगमन
गुरुवार का व्रत करने से व्यक्ति को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि मिलती है। यह दिन विशेष रूप से बृहस्पति देव की पूजा का दिन है, जिन्हें समृद्धि और आशीर्वाद का दाता माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
शारीरिक और मानसिक शांति
यह व्रत मानसिक तनाव को कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है। अगर कोई व्यक्ति किसी मानसिक समस्या या शारीरिक बीमारी से जूझ रहा हो, तो वह इस दिन व्रत रख सकता है, जिससे उसे जल्दी आराम मिल सकता है।
मनोकामना पूर्ति
ऐसी मान्यता है कि गुरुवार के दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, संतान सुख की कामना करने वाले भी इस व्रत को रख सकते हैं।
गुरुवार के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु या बृहस्पति देव का पूजन करते हुए फल, फूल और पूजा सामग्री अर्पित करनी चाहिए। साथ ही इस दिन व्रती (व्रत रखने वाला) को पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि पीला रंग बृहस्पति का प्रिय रंग माना जाता है। व्रती को इस दिन गेहूं, चने, पीली दाल, हल्दी, चीनी और गुड़ का सेवन करना चाहिए। व्रत में ब्राह्मणों को दान देने का भी विशेष महत्व है। इसके अलावा इस बात का खास ध्यान रखें कि इस दिन व्रत कथा जरूर पढ़ें।
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान।
विकर्तनो विवस्वांश्च मार्तण्डो भास्करो रविः।
लोक प्रकाशकः श्री मांल्लोक चक्षुर्मुहेश्वरः ॥ लोकसाक्षी त्रिलोकेशः कर्ता हर्ता तमिस्रहा।
नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।
शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।।
ॐ सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकरः