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भगवान श्री गणेश से जुड़ी एक कहानी के अनुसार, एक बार गणेश जी पृथ्वी पर भ्रमण करने आए। उन्होंने एक किसान के खेत से अनाज के 12 दाने लिए और उन्हें मुंह में डाल लिया। ऐसा करने के बाद गणेश जी ने सोचा कि मैंने किसान का अनाज खाया है इस तरह मैं इसका कर्जदार हो गया हूं। इस कर्ज को उतारने के लिए गणेश जी उस किसान के नौकर बनकर उसकी सेवा करने लगे।
भक्त वत्सल की गणेश चतुर्थी स्पेशल सीरीज ‘गणेश महिमा’ में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे छोटा सा कर्ज चुकाने के लिए गणपति नौकर बन गए…
एक दिन किसान की पत्नी राख से हाथ धो रही थी तभी गणेश जी ने उसके हाथ से राख छीन ली और उसे मिट्टी से हाथ धोने की सलाह दी। इस पर किसान की पत्नी बहुत नाराज हुई। उसने किसान से गणेश जी की शिकायत करते हुए कहा कि इस नए लड़के ने मेरा हाथ मरोड़ा है इसे घर से निकाल दो।
किसान ने पत्नी की बात सुनकर गणेश से इसका कारण पूछा तो गणेश जी ने उत्तर दिया कि राख से हाथ धोने से घर की रिद्धि-सिद्धि का नाश होता है। जबकि मिट्टी से हाथ धोने से घर में रिद्धि-सिद्धि आती है। गणेश की यह बात किसान को सही लगी। उसने उन्हें घर से नहीं निकाला। दिन गुजरते गए।
एक दिन सभी कुंभ के मेले में जा रहे थे। तब किसान ने गणेश जी को कहा कि मेरी पत्नी को कुंभ का मेला दिखाकर लाओ और वहां स्नान भी करवा लाना। गणेश जी किसान की आज्ञा से चल पड़े। वहां पहुंचकर किसान की पत्नी किनारे पर बैठकर नहाने लगी। तभी गणेश जी ने उनका हाथ पकड़ा और उनको पानी के भीतर ले जाकर नहलाकर बाहर निकाल लाए। उनका यह व्यवहार किसान पत्नी को अच्छा नहीं लगा। उसने फिर गणेश जी की शिकायत की।
तब किसान ने फिर गणेश जी से इसका कारण पूछा तो गणेश जी ने कहा कि किनारे नहाने से उत्तम फल नहीं मिलता इसलिए मैंने इन्हें भीतर जाकर डुबकी लगवाई। ऐसा करने से अगले जन्म में ये रानी और आप राजा बनोगे। किसान ने फिर गणेश जी की समझदारी की तारीफ की।
एक दिन किसान हवन कर रहा था तो उसने गणेश जी से कहा कि जाकर मेरी पत्नी को बुला लाओ। गणेश जी जब उसे बुलाने गए तो वो गया तो वो काले वस्त्र पहनकर बैठी थी। गणेश ने उसे ये वस्त्र उतारने को कहा। इसका गलत मतलब निकालते हुए किसान पत्नी ने फिर गणेश जी की शिकायत की। इस बार किसान को बहुत गुस्सा आया लेकिन फिर भी उसने एक बार फिर गणेश जी से इसका कारण पूछना उचित समझा। तब गणेश जी ने बताया की काले वस्त्र पहनकर पूजा करना उचित नहीं है। इस बार भी किसान ने गणेश जी के ज्ञान और बुद्धि से प्रभावित होकर उन्हें कुछ नहीं कहा।
एक दिन किसान के पूजा घर से गणेश जी की मूर्ति कही खो गई। उसने गणेश जी से पूछा तो उन्होंने कहा कि मूर्ति की जगह मुझे बिठा दो मैं तुम्हारी हर मनोकामना पूरी करूंगा। यह सुनकर किसान को गणेश जी पर बहुत गुस्सा आया। तब श्री गणेश जी अपने सच्चे स्वरूप में आए और किसान दंपति को दर्शन दिए। गणेश जी ने किसान के कर्जदार होने वाली बात भी बताई और उन्हें सदैव सुखी रहने का आशीर्वाद देकर अंतर्ध्यान हो गए
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